Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jan, 2018 09:13 PM
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘सशस्त्र बल अधिकारियों और सशस्त्र बल मुख्यालय असैन्य सेवा (एएफएचक्यू सीएस) अधिकारियों के बीच समानता के मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय के 18 अक्तूबर 2016 की तारीख वाले पत्र को वापस ले लिया गया है।’’ इसने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला...
नई दिल्लीः रक्षा मंत्रालय ने एक बड़े फैसले के तहत एक विवादित पत्र शुक्रवार को वापस लेने की घोषणा की, जिसे इसने दो साल पहले सैन्य अधिकारियों और उनके असैन्य समकक्षों के बीच समान दर्जा करने को लेकर जारी किया था। गौरतलब है कि मंत्रालय के कदम से सशस्त्र बलों में व्यापक रोष पैदा हो गया था।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘सशस्त्र बल अधिकारियों और सशस्त्र बल मुख्यालय असैन्य सेवा (एएफएचक्यू सीएस) अधिकारियों के बीच समानता के मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय के 18 अक्तूबर 2016 की तारीख वाले पत्र को वापस ले लिया गया है।’’ इसने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के निर्देश के बाद पत्र वापस ले लिया गया है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एएफएचक्यू सीएस के कैडर पुनर्गठन की जो मंजूरी दी है उसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा। इसने कहा कि पदों को कैबिनेट द्वारा मंजूर अतिरिक्त पदों के अनुरूप सृजित किया जाएगा। गौरतलब है कि सैन्य अधिकारियों में इस बात को लेकर असंतोष बढ़ रहा था कि मौजूदा समान दर्जा त्रुटिपूर्ण है और सरकार को अवश्य ही उनकी चिंताओं का हल करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर मौजूदा नियमों के मुताबिक निदेशक स्तर के अधिकारियों को सशस्त्र बल मुख्यालय कैडर के निदेशकों के समान स्तर पर ही रखा गया है। वहीं, सैन्य अधिकारी इस बात पर जोर दे रहे थे कि लेफ्टिनेंट कर्नल एएफएचक्यू कैडर के निदेशकों के बराबर हैं। रक्षा मंत्रालय ने 18 अक्तूबर 2016 को असैन्य अधिकारियों और सेवारत सैन्य अधिकारियों के कामकाजी जिम्मेदारियों के आधार पर उनके बीच रैंक समान बना दिया था।