मोबाइल टावरों पर संपत्ति कर लगा सकती हैं राज्य सरकारें : शीर्ष अदालत

Edited By ,Updated: 16 Dec, 2016 11:21 PM

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मोबाइल फोन ऑपरेटरों को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राज्य सरकारें मोबाइल टावरों पर संपत्ति कर लगा सकती हैं क्योंकि...

नई दिल्ली: मोबाइल फोन ऑपरेटरों को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राज्य सरकारें मोबाइल टावरों पर संपत्ति कर लगा सकती हैं क्योंकि कर पेड़ और मशीनरी के प्रयोग पर नहीं बल्कि भूमि एवं इमारत के प्रयोग पर है। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय के 2013 के फैसले को निरस्त करते हुए फैसला सुनाया। 

उच्च न्यायालय ने आदेश सुनाया था कि राज्य सरकार द्वारा मोबाइल टावरों पर संपत्ति कर लगाना उसके क्षेत्राधिकार के बाहर है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने मोबाइल टावरों पर कर लगाने संंबंधी गुजरात प्रांतीय नगर निकाय कानून के प्रावधान को इस आधार पर वैध ठहराया कि जैसा कि कानून में परिभाषित है, वे ‘‘भूमि एवं इमारत’’ के दायरे में हैं। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि आमतौर पर और रोजमर्रा के जीवन में मोबाइल टावर निश्चित रूप से इमारत नहीं है लेकिन इसका कोई कारण नहीं है कि इसे संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची दो के एंट्री 49 के तहत कर लगाने के लिए इमारत क्यों नहीं माना जाए। संविधान की सातवीं अनसूची की सूची दो में वे विषय दिए गए हैं जिसमें राज्य सरकार कानून बना सकती है और एंट्री 49 भूमिए एवं इमारत के संदर्भ में है। 

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