मोदी सरकार ने रोकी 6 पूर्व जजों की नियुक्ति, कहा- IB ने दी खराब रिपोर्ट

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2017 01:00 PM

modi government rejected former judges names

जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

नई दिल्ली: जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला रिटायर हो चुके जजों की विभिन्न कमीशनों और ट्राइब्यूनलों में नियुक्ति का है। केंद्र सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) की ‘गुप्त रिपोर्ट’ का हवाला देते हुए 6 पूर्व जजों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। इन 6 जजों में 2 हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जज हैं और 2 हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं, जबकि अन्य 2 हाईकोर्ट के पूर्व जज हैं। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन जजों के नाम की अनुशंसा टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट एंड अपीलैट ट्राइब्यूनल, नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन, नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल और आम्र्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल इत्यादि पैनलों में नियुक्ति के लिए की गई थी। इन जजों का नाम संबंधित मंत्रालयों द्वारा विधिसम्मत प्रक्रिया का पालन करते हुए अप्वाइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (एसीसी) के पास भेजा गया था। 4 जजों के नाम को एसीसी ने ‘प्रतिकूल आईबी रिपोर्ट’ के आधार पर अस्वीकार कर दिया। वहीं 2 जजों के नाम अस्वीकार करने के लिए कोई कारण नहीं दिया गया। हालांकि रिटायर हो चुके जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार न्यायपालिका की अनुशंसा मानने को बाध्य नहीं है लेकिन उसे किसी जज का नाम अस्वीकार करने का कारण बताना होता है। 

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