Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 05:04 PM
इस विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा में भी यह पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था
नई दिल्लीः राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए केंद्र सरकार खासी मुस्तैद दिख रही है। एेसे में अब एक बार फिर सरकार ओबीसी आयोग के विधेयक को लोकसभा में पेश करने की तैयारी में है। बीते संसद सत्र में यह विधेयक राज्यसभा में अटक गया था। जानकारों की माने तो अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग की तर्ज पर ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1993 में किया गया था। फिलहाल इसके अधिकार काफी सीमित हैं। यह आयोग पिछड़ी जातियों को केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में शामिल करने या बाहर निकालने की ही सिफारिश कर सकता है। वहीं, ओबीसी समुदाय की शिकायतों और उनके निपटारों के लिए अनुसूचित जाति आयोग ही काम करता है।
इस विधेयक के पारित होने पर पिछड़ा आयोग ओबीसी सूची में शामिल जातियों की समस्याओं को सुन सकेगा और उनका समाधान कर सकेगा। गौरतलब है कि इस विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा में भी यह पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। एेसे में अब एक बार फिर सरकार इसे संसद सत्र में पेश करने का मन बना रही है।