Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 04:15 PM
चीन के साथ लगातार बढ़ते विवाद और सीमा पर तनातनी के बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
नई दिल्ली: चीन के साथ लगातार बढ़ते विवाद और सीमा पर तनातनी के बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। 10 साल की देरी के बाद सरकार ने 6 अन्य देशों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट-75 लांच किया है, जिसके तहत कम से कम 6 एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस पनडुब्बियां भारतीय नौसेना को मिलेंगी। इसके लिए 70 हजार करोड़ की लागत की संभावना जताई जा रही है, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, रूस, स्वीडन, स्पेन और जापान हमारा साथ देंगे। पनडुब्बी निर्माण को लेकर मोदी सरकार के इस रक्षा कार्यक्रम को प्रोजेक्ट-75 (इंडिया) नाम दिया गया है।
मई में सरकार ने अपनाई साझेदारी नीति
नवंबर 2007 में पहली बार इस डील की जरुरत महसूस की गई थी। उस समय देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। इस साल मई में रक्षा मंत्रालय ने इस डील को अंतिम रूप देने के लिए नई सामरिक साझेदारी नीति अपनाई। सूत्र के मुताबिक भारत सरकार ने हाल के दिनों में पनडुब्बी बनाने के लिए 6 शिपबिल्डर्स को रिक्वेस्ट फॉर इन्फोर्मेशन (आरएफआई) भेजा है। इनमें नवल ग्रुप-डीसीएनएस (फ्रांस), थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम (जर्मनी), रोसोबोरोनएक्सपर्ट रुबीन डिजाइन ब्यूरो (रूस), नवानतिया (स्पेन), साब (स्वीडन) और मित्सुबिशी-कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज कम्बाइन (जापान) शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि इन कंपनियों से 15 सितंबर तक जवाब देने के लिए कहा गया है।
भारतीय नौसेना के पास केवल 13 पुरानी पनडुब्बियां
भारतीय नौसेना इस प्रोजेक्ट के जरिए 6 डीजल-बिजली इंजन से चलने वाली पनडुब्बियां बनवाना चाहता है। इन पनडुब्बियों में धरती पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल, एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन, पानी के अंदर ज्यादा देर तक रहने की क्षमता, भारतीय हथियार और सेंसर जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। आपको बता दें कि भारतीय नौसेना के पास फिलहाल केवल 13 पुरानी पनडुब्बियां हैं, इनमें से आधी हरदम सक्रिय रहती हैं। हालांकि इन पनडुब्बियों में से कम से कम 10 ऐसी हैं जो 25 साल से ज्यादा पुरानी हैं। इनमें अभी भारत के पास 2 परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्बियां हैं। वहीं आईएनएस अरिहंत (एसएसएसबीएन) और आईएनएस चक्र (एसएसएन) भी भारतीय नौसेना के पास हैं।