'मोदी' अब नहीं बढ़ने देंगे 'पेट्रोल-डीजल' के दाम, ये रहे पांच कारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Dec, 2017 11:35 PM

modi will not be able to increase the price of petrol diesel these five reasons

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भले ही कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी हो जाए लेकिन मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ने देगी, जिसका अंदाजा पिछले दो महीने में तेल की कीमतों में स्थिरता से लगाया जा सकता है। कच्चे तेल के दामों में तेजी के बावजूद उत्तर...

नेशनल डेस्कः अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भले ही कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी हो जाए लेकिन मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ने देगी, जिसका अंदाजा पिछले दो महीने में तेल की कीमतों में स्थिरता से लगाया जा सकता है। कच्चे तेल के दामों में तेजी के बावजूद उत्तर प्रदेश और गुजरात चुनाव के चलते पिछले दो महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी नहीं की गई। जबकि इस दौरान एटीएफ के दाम पिछले 2 महीनों में 7 रुपए प्रति लीटर बढ़ गई है। ए.टी.एफ. की कीमतों में आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत दर पर 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अगस्त के बाद से दरों में लगातार ये तीसरी वृद्धि है। एेसे में हम आपको उन वजहों से अवगत कराते हैं, जिसके कारण आने वाले समय में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा की न के बराबर गुंजाइश रहेगी।

गुजरात के बाद उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों में चुनाव
शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों के नतीजे आए, जिसमें पार्टी ने अपनी बादशाह कायम रखते हुए 16 निकायों में से 14 पर भाजपा ने का कब्जा जमा लिया। इसके बाद गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को चुनाव होंगे। विधानसभा चुनावों का सिलसिला अगले की शुरुआत से दोबारा चालू हो जाएगा। मार्च में उत्तर-पूर्व के मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा विधानसभाओं के कार्यकाल समाप्त हो रहे हैं। जनवरी के अंतर में या फिर फरवरी की शुरुआत में चुनाव आयोग इन राज्यों में मतदान के लिए नोटिफिकेशन जारी कर कर देगा। हालांकि तीनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है लेकिन पार्टी यहां अपनी जड़े जरुर मजबूत करना चाहेगी। एेसे में यूपी और गुजरात चुनावों की आहट से शुरू हुई तेल कीमतों की स्थिरता इन चुनावों में भी कायम रह सकती है।      

अप्रैल-मई में कर्नाटक विधानसभा के लिए वोटिंग 
उत्तर-पूर्व के चुनाव खत्म होते ही दक्षिण के कर्नाटक में चुनाव दस्तक दे देगा। दक्षिण भारत में ये इकलौत राज्य है, जहां भाजपा ने पहली दफा केसरिया झंडा बुलंद किया है। हालांकि वर्तमान में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार है लेकिन पिछले काफी समय से राज्य में पार्टी को अपने पक्ष में माहौल बनता दिखाई दे रहा है। इसके चलते कर्नाटक में समय से पहले चुनाव की चर्चाएं भी लगातार राजनीतिक गलियारों में हिचकोले खाती सुनाई देती रहीं। इसके अलावा अगर भाजपा गुजरात फतह कर लेती है तो पार्टी इस जीत को कर्नाटक में जरूर भुनाना चाहेगी। इन परिस्थतियों में इस दौरान भी सरकार पेट्रोल-डीजल को लेकर कोई जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहेगी।  

भाजपा शासित तीन राज्यों में लोकसभा का सेमीफाइनल
भाजपा के लिए आने वाला पूरा साल आगामी लोकसभा चुनावों में अपनी मजबूत छवि पेश करने में गुजर जाएगा, क्योंकि पार्टी को साल 2018 की शुरुआत से अंत तक कई महत्वपूर्ण राज्यों में चुनावों में सामना करना है। कर्नाटक चुनाव खत्म होने के कुछ महीने बाद ही भाजपा शासित तीन बड़े राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होंगे। इन तीनों राज्योें के बाद सीधे आम चुनाव यानी लोकसभा की बारी आएगी। एेसे में ये चुनाव लोकसभा के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जाएंगे। इस दौरान पार्टी कोई एेसा कदम नहीं उठाना चाहिए कि जिससे इन चुनावों में हुई ऊंच-नीच का खामियाजा पार्टी को लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़े।  

मोदी सरकार का अाखिरी सालः 2019 लोकसभा चुनाव   
राज्यों में विधानसभा चुनाव की उठपटक के बाद साल 2019 में लोकसभा आ जाएगे। इन चुनावों के नतीजे मुख्यतः दो फीडबैक के अाधार पर तय होंगें। पहला कि साल 2018 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की क्या परफॉर्मेंस रही और केंद्र सराकर ने जनता को सीधे प्रभावित करने वाले मुद्दों से उन्हें कितनी राहत महसूस कराई। एेसे में पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी भी प्रमुख कारकों में से एक होगी। इसके अलावा जीएसटी लागू होने के बाद से लगाातर सरकार उसके दायरे में आने वाली वस्तु की समीक्षा करने में लगी है। वहीं, विपक्ष लगातार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखने के मुद्दे पर सरकार को घेरता रहा है। 

सरकार GST के दायरे में ला सकती पेट्रोल-डीजल
लोकसभा चुनाव में केवल प्रधानमंत्री मोदी की परफॉर्मेंस के आधार पर भारतीय जनता पार्टी का भविष्य तय होगा। इसके चलते पार्टी अभी से अपनी गुडविल बनाने में लगी हैै। अब यही वजह है कि सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का मन बना रही है। अगर एेसा हुआ तो वर्तमान में लगने वाला 57 फीसद टैक्स घटकर केवल 18 फीसदी रह जाएगा। 39 प्रतिशत का अंतर जनता के लिए बहुत बड़ी राहत होगा। पिछले लोकसभा चुनावों की तरह इस बार भी सरकार सबसे ज्यादा फोकस यूथ वोर्ट्स पर ही करेगी। अगर सरकार ये कदम उठा लेती है तो ये मोदी सरकार की तरफ यूथ को सबसे बड़ा तोहफा होगा। 

71 रुपए बिकने वाला पेट्रोल 38 तक हो जाएगा 
अगर हम उदाहरण के तौर पर बात करें तो दिल्ली में शुक्रवार को एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69.24 रुपए है, जो सबसे ऊंचे स्लैब यानी 18 जीएसटी के तहत भी महज 41.68 रुपए(लगभग) होती। अगर इसे 12 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में रखा गया होता तो कीमत सिर्फ 32.92 रुपए(लगभग) प्रति लीटर होगी। पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के तहत लाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है क्योंकि जीएसटी काउंसिल इसे नई व्यवस्था में शामिल कर चुकी है लेकिन टैक्स की सीमा तय नहीं की गई है। 

 

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