Edited By ,Updated: 03 Feb, 2017 05:09 PM
उत्तराखंड में 51 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपना नाम वापस लेने के चलते 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 15 फरवरी को होने...
देहरादून : उत्तराखंड में 51 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपना नाम वापस लेने के चलते 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 15 फरवरी को होने वाले चुनाव में ज्यादातर सीटों पर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है।
वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद से कांग्रेस और भाजपा बारी बारी से सत्ता के हिंडोले पर झूलती रही हैं और इस बार भी ज्यादातर सीटों पर सीधा मुकाबला है। वैसे हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिलों जैसे कुछ अपवाद भी हैं, जहां बसपा तीसरी खिलाड़ी हो सकती है।
अपनी पार्टियों से टिकट नहीं मिलने से नाराज दोनो तरफ के कुछ मजबूत नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ दी और चुनावी रण में निर्दलीय के तौर पर उतर कर करीब 18 सीटों पर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। कांग्रेस के 11 पूर्व विधायक इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है जबकि कांग्रेस ने भाजपा के तीन पूर्व विधायकों को उतारा है।
इसके अलावा भाजपा के तीन पूर्व विधायक निर्दलीय के तौर पर मैदान में है। दोनों दलों का समूचे राज्य में आधार है और उन्होंने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बहरहाल, कांग्रेस ने धनोल्टी से निर्दलीय उम्मीदवार प्रीतम सिंह पंवार का समर्थन करने का फैसला किया है जबकि सीट से पार्टी के औपचारिक उम्मीदवार मनमोहन माल हैं, जो मैदान में डटे हुए हैं। यह राज्य का चौथा विधानसभा चुनाव है और पिछले तीन चुनावों में सत्ता का लड्डू इन्हीं दोनो पार्टियों के हाथ लगा है।