नजर निगम चुनाव : कांग्रेस प्रत्याशी चयन में उलझी, भाजपा उम्मीदवार के आगे मजबूत चेहरों की तलाश में कांग्रेस

Edited By ,Updated: 24 Nov, 2016 08:37 AM

municipal elections  congress is confused to choose their candidates

नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा ने मंगलवार को अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी लेकिन कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के चयन को लेकर अब भी उलझी हुई है।

चंडीगढ़ (अधिकारी): नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा ने मंगलवार को अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी लेकिन कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के चयन को लेकर अब भी उलझी हुई है। बुधवार शाम को हुई प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की घंटों चली बैठक में कई नामों पर माथापच्ची के बावजूद कांग्रेस अपने उम्मीदवार तय नहीं कर सकी। अब प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति वीरवार या शुक्रवार को फिर बैठक कर उम्मीदवारों के चयन पर मंथन करेगी। इस बीच, बुधवार को भाजपा में हुई बगावत के बाद असंतुष्ट भाजपाइयों पर भी कांग्रेस ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। 

 

चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने पिछले दिनों दावा किया था कि नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार बनने के लिए 200 से ज्यादा कांग्रेसजनों ने आवेदन किया था लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनमें कम ही ऐसे दावेदार हैं, जो जिताऊ साबित हो सकते हैं। इसलिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा में पहल नहीं दिखाई। वह भाजपा उम्मीदवारों की सूची का इंतजार कर रही थी। अब जब भाजपा उम्मीदवारों के चेहरे सामने आ गए हैं तो कांग्रेस हर वार्ड में भाजपा उम्मीदवार के आगे मजबूत चेहरों की तलाश में है। यही तलाश प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के लिए बड़ी उलझन का सबब बनी हुई है।

 

पिछली बार जीते थे कांग्रेस के 11 प्रत्याशी
वर्ष 2011 में हुए पिछले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के 11 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी लेकिन इनमें से चार पार्षद लोकसभा चुनाव-2014 में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में चले गए थे। हालांकि बाद में एक सीट पर हुए निगम उप-चुनाव में कांग्रेस को एक और सीट मिल गई थी। इस तरह पिछले जीते उम्मीदवारों पर नजर डाली जाए तो इस समय कांग्रेस के पास इनमें से केवल 8 उम्मीदवार बचे हैं। इनमें भी दो कद्दावर कांग्रेसी पूर्व मेयरों के वार्ड रिजर्व हो चुके हैं। अब यह नए वार्डों की तलाश से ज्यादा इस बात को लेकर पसोपेश में हैं कि इस बार चुनाव लड़ें या नहीं। 

 

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के पास कम से कम 10 ऐसे वार्ड हैं, जिनमें उसे कोई कद्दावर उम्मीदवार नहीं मिल रहा है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बी.बी. बहल के चंडीगढ़ छोड़ देने के बाद उनके गुट के कांग्रेसी नेताओं ने भी चंडीगढ़ की राजनीति से खुद को अलग कर लिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी गुट के नेता पहले ही पार्टी की वर्तमान स्थानीय परिस्थितियों में नगर निगम चुनाव से खुद को अलग कर चुके हैं। ऐसे में अकेले पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के सामने पार्टी में जिताऊ चेहरों का चयन बड़ी चुनौती बन गया है।


 

असंतुष्ट भाजपाइयों पर नजर
बुधवार को भाजपा में टिकटों के बंटवारे को लेकर हुई बगावत ने कांग्रेस को थोड़ी राहत दी है। कांग्रेस भाजपा के अंदरूनी हालात पर नजर रखने के साथ असंतुष्ट भाजपाइयों पर भी डोरे डालने में जुट गई है। माना जा रहा है कि अगले दिनों में कुछ भाजपाई कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। कांग्रेस ऐसे बागी भाजपाइयों को टिकट देगी या उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़वाकर उनका समर्थन करेगी, यह फैसला प्रदेस कांग्रेस नेतृत्व ने फिलहाल नहीं किया है लेकिन प्रत्याशी चयन के लिए प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक टालकर कांग्रेस ने संकेत जरूर दे दिए हैं कि वह प्रत्याशी चयन पर अभी जल्दबाजी में नहीं है और भाजपा की फूट का लाभ लेने की कोशिश में है।

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