तीन तलाक को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट को दी चेतावनी

Edited By ,Updated: 27 Mar, 2017 06:52 PM

muslims do not interfere in the religious affairs

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 3 तलाक के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 3 तलाक के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है। बोर्ड ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है। बोर्ड के वकीलों की दलील है कि धार्मिक मामलों में अदालत दखल नहीं दे सकती। मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी। एआईएमपीएलबी की राय में मुस्लिमों की धार्मिक रिवायतों पर दायर याचिकाएं निजी पक्ष के खिलाफ मूलभूत अधिकारों को लागू करवाने की कोशिश है। बोर्ड का मानना है कि याचिका दायर करने वाले अनुच्छेद 32 के खिलाफ फैसला चाह रहे हैं। इस अनुच्छेद के मुताबिक नागरिकों या निजी पक्षों के खिलाफ संवैधानिक अधिकारों का दावा नहीं किया जा सकता। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक याचिकाओं में पेश तर्क मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों की गलत समझ पर आधारित हैं।

सांस्कृतिक प्रथाओं का हो सम्मान
बोर्ड की ओर से दाखिल जवाब में दावा किया गया है कि शरीयत कानून पति और पत्नी के बीच लंबे रिश्ते की हिमायत करता है। इस कानून में ऐसे कई प्रावधान हैं जो शादी को टूटने से बचाने के लिए बने हैं और शरीयत में तलाक को आखिरी रास्ता माना गया है। एआईएमपीएलबी ने मांग की है कि 3 तलाक पर कानून में कोई भी बदलाव भारत की सांस्कृतिक विविधता और संबद्ध समुदायों की भावनाओं को ध्यान में रखकर होना चाहिए। दूसरे देशों में लागू बदलावों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में सोच-विचार के बाद ही लागू किया जाना चाहिए। 

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