Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Sep, 2017 11:28 AM
साल 2015 में म्यांमार में घुसकर नगा उग्रवादियों पर बड़ी कार्रवाई के बाद बुधवार को भारतीय सेना ने सीमा पर इन उग्रवादियों के खिलाफ एक और बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया।
नई दिल्ली: साल 2015 में म्यांमार में घुसकर नगा उग्रवादियों पर बड़ी कार्रवाई के बाद बुधवार को भारतीय सेना ने सीमा पर इन उग्रवादियों के खिलाफ एक और बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया। पिछले कुछ महीनों से इस ग्रुप के खिलाफ भारतीय सेना ने अभियान छेड़ रखा है। नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों में सक्रिय खापलांग गुट यानी एनएससीएन (के) के उग्रवादी भारतीय जवानों को निशाना बनाने की ताक में रहते हैं। म्यांमार से सटा बॉर्डर चार राज्य अरुणाचल प्रदेश (520 किमी), मणिपुर (398 किमी), मिजोरम (510 किमी), नगालैंड (215 किमी) लंबी सीमा के साथ लगता है। इसलिए वहां से चल रहे आतंकी संगठनों का असर भारत पर भी होता है। साथ ही, वहां का प्रमुख आतंकवादी संगठन भारतीय सेना को लंबे समय से निशाना बनाता रहा है। चलिए इसके इतिहास और अन्य बातों के बारे में जान लीजिए।
कुछ ऐसा है इतिहास
-नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) नॉर्थ-ईस्ट में एक्टिव एक विद्रोही गुट है।
-980 में इसकी स्थापना थुइंगलेंग मुइवा व इसाक चिशी स्वू ने की थी।
-1988 में एसएस खापलांग ने एनएससीएन से अलग होकर एनएससीएन (के) गुट बना लिया।
यह है एनएएससीएन (के) की मांग
खापलांग का गुट नगालैंड का सबसे खतरनाक अलगाववादी गुट माना जाता है। ये गुट सालों से भारत से अलग होने की मांग पर अड़ा हुआ है। ये गुट भारत से अलग ग्रेटर नगालैंड की बात करता है।
क्या हुआ जून 2015 में
-4 जून को संगठन ने भारतीय सेना पर घात लगाकर हमला किया।
-18 भारतीय जवान मारे गए थे इस हमले में।
45 साल... 6 ऑपरेशन
1971: हमारी सेना बांग्लादेश में घुसी।
1987: 50 हजार जवान श्रीलंका के जाफना में तैनात।
1988: 1400 कमांडो मालदीव में भेजे।
1995: उग्रवादियों के खिलाफ म्यांमार में ऑपरेशन चलाया।
2015:दोबारा म्यांमार सीमा के अंदर कार्रवाई।
2016: पीओके में सॢजकल स्ट्राइक।