कैबिनेट मंत्रियों पर PM मोदी ने कसा शिकंजा

Edited By ,Updated: 26 Jul, 2016 11:02 AM

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परम्परा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को यकीनी बनाने के लिए अधिक प्रत्यक्ष भूमिका निभा रहे हैं कि उनके मंत्रिमंडल के जूनियर मंत्रियों को पर्याप्त कार्य दिया जाए

नई दिल्ली: परम्परा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को यकीनी बनाने के लिए अधिक प्रत्यक्ष भूमिका निभा रहे हैं कि उनके मंत्रिमंडल के जूनियर मंत्रियों को पर्याप्त कार्य दिया जाए और फाइलें उनके जरिए ही आगे बढ़ें। 5 जुलाई को मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल के तुरन्त बाद प्रधानमंत्री ने अपने वरिष्ठ सहयोगियों को बताया था कि वे अपने जूनियर मंत्रियों को सीखने के अधिक अवसर उपलब्ध करवाएं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) ने सभी 26 कैबिनेट मंत्रियों को संकेत दिया है कि वे प्रधानमंत्री से सलाह-मशविरा किए बिना विभागों का कामकाज बांटने से परहेज करें। इससे स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री इस बात से अवगत हैं कि कुछ राज्य मंत्रियों को उनके सीनियर्स द्वारा पर्याप्त कार्य नहीं दिया जाता। मोदी चाहते हैं कि काम सही ढंग से हो।

पी.एम.ओ. की तरफ से इस सख्त संदेश के कारण कुछ जूनियर मंत्री अब भी अपने ‘वर्क आर्डर’ प्राप्त करने के इंतजार में हैं जबकि कुछ मंत्रियों को काम अलाट कर दिया गया है। आशा है कि सभी कैबिनेट मंत्री पी.एम.ओ. को इस बात की जानकारी देंगे कि वे अपने जूनियर मंत्रियों को कौन-सा काम अलाट करना चाहते हैं और साऊथ ब्लाक से इस संबंध में अंतिम फैसले के इंतजार में हैं। कुछ कैबिनेट मंत्रियों की तरफ से पी.एम.ओ. को भेजे गए प्रस्ताव अभी मंजूर किए जाने हैं। 

गृह मंत्रालय (राजनाथ), रक्षा मंत्रालय (मनोहर पाॢरकर), नागरिक उड्डयन मंत्रालय (गजपति राजू), कैमिकल और खाद व संसदीय मामलों (अनंत कुमार), भारी उद्योग (आनंत गीते), फूड प्रोसैसिंग (हरसिमरत कौर बादल), आदिवासी मामलों (जुआल ओरान), कृषि (राधामोहन सिंह), सामाजिक न्याय (थावर चंद गहलोत) और विज्ञान व प्रौद्योगिकी (हर्षवद्र्धन) सहित कुछ अन्य मंत्रालयों को समस्या का अधिक सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि उनके मंत्रालयों में राज्य मंत्रियों की संख्या नहीं बदली गई है।

वित्त (अरुण जेतली), रेलवे (सुरेश प्रभु), सड़क परिवहन (नितिन गड़करी), मध्यम उद्योग (कलराज मिश्र), स्वास्थ्य (जे.पी. नड्डा) मंत्रालयों को अतिरिक्त राज्य मंत्री दिए गए हैं। इन कुछ राज्य मंत्रियों को काम देना कठिन है क्योंकि उन्हें अधिक सलाह-मशविरे की जरूरत है। यह हैरानी की बात है कि मंत्रिमंडल के फेरबदल के 20 दिन बाद कुछ मंत्री उचित काम के इंतजार में हैं। यद्यपि अनधिकृत रूप से उन्हें बताया गया है कि वे सक्रिय भूमिका निभाएं और फाइलें उनके जरिए ही आगे बढ़ेंगी। जेतली को कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय में भी एक राज्य मंत्री दिया गया है। मगर उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद काम बांट दिया है। 

जेतली की समस्या यह है कि उनके दोनों राज्य मंत्री संतोष गंगवार और अर्जुन राम मेघवाल हिन्दी बोलने वाले हैं। उनको कामकाज समझने में कुछ समय लगेगा। दोनों खुश हैं। सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्रालय का काम नए राज्य मंत्री एम.जे. अकबर को उनकी इच्छा अनुसार बांट दिया। इसके साथ ही जनरल वी.के. सिंह को अतिरिक्त काम दिया गया है। सभी राज्य मंत्री संसदीय कार्य को भी संभालेंगे और उन्हें प्रश्नों के उत्तर देने का भी अवसर दिया जाएगा। कैबिनेट मंत्री ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, वी.आई.पी. उल्लेख, संस्थान और सतर्कता मामलों से निपटेंगे।
 

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