मंदी सिर्फ निराशावादियों के दिमाग की उपज, गिरती GDP पर पीएम मोदी का जवाब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Oct, 2017 11:53 PM

narinder modi icsi corporate culture

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को यहां भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के स्वर्ण जयंती वर्ष का शुभारंभ किया।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को यहां भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के स्वर्ण जयंती वर्ष का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने GDP पर बोल्ड बयान देते हुए कहा कि पिछली सरकार के 6 साल में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी। देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसे क्वार्टर्स भी देखे हैं, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत तक गिरी। पुरानी बातें न भूलें।
 

भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सरकार का स्वच्छता अभियान
पीएम मोदी ने कहा कि यह सरकार के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि आज देश की अर्थव्यवस्था कम नकदी के साथ चल रही है। नोटबंदी के बाद नकदी का सकल घरेलू उत्पाद में अनुपात नौ प्रतिशत पर आ गया है। आठ नवंबर 2016 से पहले यह 12 प्रतिशत से ज्यादा था। मोदी ने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम देश को आने वाले वर्षों में विकास की एक नई श्रेणी में रखने वाले हैं। हमने सुधारों से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और यह प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। देश की वित्तीय स्थिरता को भी बनाए रखा जाएगा। निवेश बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए हम हर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि देश की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में अब ईमानदारी को ‘प्रीमियम’ मिलेगा और ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जाएगी। 

आलोचनाओं का करारा जवाब
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 7.5 प्रतिशत की औसत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी की विकास दर में कमी दर्ज की गई, लेकिन सरकार इसे बदलने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। आर्थिक विकास दर गिरने की हाल में हो रही तमाम आलोचनाओं का करारा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों के छह साल में आठ बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी। देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसी तिमाहियां भी देखी हैं, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत तक गिरी है। उन्होंने कहा कि ऐसी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए और ज्यादा खतरनाक थी, क्योंकि इन वर्षों में भारत उच्च मुद्रास्फीति, उच्च चालू खाता घाटे और उच्च राजकोषीय घाटे से जूझ रहा था।  

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