Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 06:27 PM
श्रीलंका ने भारत को बुधवार को फिर आश्वस्त किया कि वह किसी देश को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह का सैन्य ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा और उसकी सशस्त्र सेना तथा नौसेना ही देश में बंदरगाहों की सुरक्षा के लिए ...
नई दिल्ली : श्रीलंका ने भारत को बुधवार को फिर आश्वस्त किया कि वह किसी देश को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह का सैन्य ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा और उसकी सशस्त्र सेना तथा नौसेना ही देश में बंदरगाहों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
श्रीलंका की सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख एडमिरल आर सी विजगुनारत्ने ने भारत-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2018 को संबोधित करते हुए कहा , मैं यह आश्वासन दे सकता हूं कि हमारे बंदरगाह या जल क्षेत्र से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होगी जिससे भारत की सुरक्षा खतरे में पड़े। उन्होंने कहा कि देश के राजनीतिक नेतृत्व ने यह बात भारत को पहले ही स्पष्ट कर दी है।
उन्होंने कहा, सरकार हमारे ठिकानों को किसी अन्य देश को उपलब्ध कराने के लिए किसी के साथ सैन्य गठबंधन नहीं करेगी और श्रीलंका की सशस्त्र सेना तथा श्रीलंकाई नौसेना ही हंबनटोटा और अन्य बंदरगाहों की सुरक्षा करेगी। इस बीच उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह श्रीलंका के बंदरगाहों को सागरमाला परियोजना का हिस्सा बनाने पर विचार करे।
सागरमाला परियोजना बंदरगाहों के विकास से जुड़ी है जिसका उद्देश्य किफायती और आसान मालढुलाई के लिए ढांचागत सुविधा उपलब्ध कराना है। एडमिरल विजगुनारत्ने ने कहा, हम भारतीय नीति निर्माताओं से अनुरोध करते हैं कि वह हमारे बंदरगाहों को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सागरमाला परियोजना का हिस्सा बनाने पर विचार करें। यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष 65 विदेशी युद्धपोत कोलंबो बंदरगाह आए जिनमें से 22 भारतीय तटरक्षक बल तथा नौसेना के थे।
चीनी कंपनियों ने पिछले वर्ष दिसंबर में हंबनटोटा बंदरगाह को लंबी अवधि के लिए लीज पर लिया है। जानकारों ने इसे भारत के लिए चिंता का सबब करार दिया है। श्रीलंका ने भारतीय कंपनियों को भी हंबनटोटा औद्योगिक क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया था।