Edited By ,Updated: 04 Jan, 2017 05:10 PM
सामाजिक कार्यकर्ता और अर्थक्रांति स्वयंसेवी संस्था के संस्थापक अनिल बोकिल ने कहा कि नोटबंदी विकास का मॉडल नहीं, लेकिन सुधार का मॉडल है...
जयपुर : सामाजिक कार्यकर्ता और अर्थक्रांति स्वयंसेवी संस्था के संस्थापक अनिल बोकिल ने कहा कि नोटबंदी विकास का मॉडल नहीं, लेकिन सुधार का मॉडल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर नोटबंदी का विचार साझा करने वालेेे बोकिल ने एक कार्यक्रम में कहा कि बिना सुधारों के कुछ भी बदलाव नहीं आएगा।
लंबे समय से चली आ रही देश की गंभीर समस्या से निपटने के लिए यह आवश्यक था। उन्होंने डिजिटल भुगतान प्रणाली को पारदर्शी बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला और इससे अर्थ व्यवस्था पर पडने वाले प्रभाव के बारे में बताते हुए कहा कि नगद लेनदेन में यह बेहिसाबी होता है। यदि हम भुगतान डिजिटल करेंगे तो यह पारदर्शी होगा।
नोट बाहर नहीं आ पा रहे हंै। बडी रकम लोगों के पास जमा है और बैंकों में पर्याप्त नकदी नहीं होने के कारण नकदी ज्यादा चलन में नहीं है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी विकास के लिए नहीं लेकिन सुधारों के लिए है। विशेषज्ञ इसे विकास मॉडल के साथ कैसे जोड़ सकते है।
बोकिल ने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र चाहे मीडिया, शिक्षा, न्यायपालिका सभी पर प्रश्न चिन्ह का मुय कारण तंत्र प्रणाली है जिसे पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। समस्या प्रणाली में है जिसके कारण इसमें गिरावट देखी गई है। प्रणाली धन से चलती है, और इसी धन ने प्रणाली को भ्रष्ट बना दिया है।
उन्होंने कहा कि गरीबी देश की सबसे बडी चुनौती है, विकलांगता नहीं, गरीबी को खत्म करने की आवश्यकता है। किसान आत्महत्याएं कर रहें है। इसी तरह जब जनता का धन सही तरीके से चलन में नहीं आएगा, तो क्या होगा। सरकार को संतुलित इंडेक्स के साथ आना चाहिए। हम सेवा और उत्पाद का उपयोग करते है, हमें संतुष्टि की बात करनी चाहिए।