Edited By ,Updated: 16 Dec, 2016 04:43 PM
संसद का पूरा एक सत्र नोटबंदी के हंगामे में बर्बाद हो गया। पक्ष और विपक्ष इसके लिए एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सरकार के फैसले के
नई दिल्ली: संसद का पूरा एक सत्र नोटबंदी के हंगामे में बर्बाद हो गया। पक्ष और विपक्ष इसके लिए एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सरकार के फैसले के खिलाफ विपक्ष सदन के अंदर तो साथ-साथ दिखा, लेकिन सदन के बाहर विपक्ष में फूट पड़ती दिखाई दी। शुक्रवार को भी संसद में गतिरोध के बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इसी दौरान राष्ट्रपति से मुलाकात करने पहुंचे विपक्ष में 4 प्रमुख पार्टियां बीएसपी, एनसीपी, एसपी और वामदल शामिल नहीं हुईं।
जानकारी मुताबिक प्रणव मुखर्जी से मिलने पहुंचे विपक्ष के नेताओं के दल की अगुवाई कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की । विपक्ष ने नोटबंदी और इससे उपजी दूसरी समस्याओं पर बहस न करने के लिए ये मामला राष्ट्रपति के सामने रखा। वहीं इस फूट पर वाम दल की तरफ से सफाई आई की भ्रम की स्थिति के चलते वामदल इस मीटिंग में शामिल नहीं हो पाया। उसे सही तरीके से इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई थी।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि नोटबंदी की वजह से कई लोगों की जान गई, बहुत सारे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निचले तबके के लोगों का रोजगार छीना जा रहा है। जो काम कर रहे हैं उन्हे उनका मेहनताना नहीं मिल रहा है। उन्होने कहा कि उस मुद्दे पर हम चर्चा करना चाहते थे लेकिन बहस ही नहीं की गई। खडग़े ने कहा कि हम बिना शर्त चर्चा के लिए तैयार थे।