चोटी प्रकरण : पीड़ितों के ख़ून के नमूने लेगी पुलिस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Oct, 2017 03:12 PM

now police will take the sample in case of braid choping

कश्मीर घाटी में महिलाओं की चोटियां काटे जाने की घटना को लेकर पुलिस ने कहा है कि सभी पीड़ितों के खून के नमूने लिए जाएंगे। पुलिस का यह भी कहना है कि खून के नमूने हासिल करने का मकसद चिकित्सा जाँच को आगे बढ़ाना है।

श्रीनगर : कश्मीर घाटी में महिलाओं की चोटियां काटे जाने की घटना को लेकर पुलिस ने कहा है कि सभी पीड़ितों के खून के नमूने लिए जाएंगे। पुलिस का यह भी कहना है कि खून के नमूने हासिल करने का मकसद चिकित्सा जाँच को आगे बढ़ाना है। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी.) एस.पी. वैद का कहना है कि जितने भी मामले अभी तक सामने आए हैं, उनमें पीड़ितों के खून के नमूने हासिल किए जाएंगे। यह इसलिए किया जाएगा क्योंकि चिकित्सा जांच में इन नमूनों की जरूरत पड़ेगी। पीड़ितों ने यह आरोप लगाया है कि उनकी चोटियां काटते समय स्प्रे का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए खून के नमूने हासिल करने से ये पता लगाया जा सकता है कि किस तरह का स्प्रे इस्तेमाल किया गया है। पुलिस अभी तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर पाई है। पुलिस का कहना है कि अब तक 102 मामले सामने आए हैं।


श्रीनगर के बटमालू इलाके में नस्रीना (बदला हुआ नाम ) के बाल गुरुवार को उस समय काटे गएए जब वह अपने घर में पढ़ाई कर रही थीं। उन्होंने बताया कि सुबह 11 बजे मैं अपने घर में अकेली थी और पढ़ाई कर रही थी। मैं अपने किचन में पानी पीने गई। मैं जब पानी पी रही थी तो मुझे लगा कि दरवाजा किसी ने खोल दिया। मुझे लगा कि हवा की वजह से दरवाजा हिल रहा है। कुछ ही देर में मुझे परछाई नजऱ आई। मैंने जब पीछे देखा तो मेरे कटे बाल नीचे गिर गए थे। साथ ही मैंने एक व्यक्ति का पिछला हिस्सा देखा जो भाग रहा था। उसने सिर से पैरों तक काले कपड़े पहने थे।


नस्रीना की माँ शमीमा (बदला हुआ नाम) की भी चोटी कुछ दिन पहले उनके घर में काटी गई जब वह अपने रसोई में खाना बना रही थीं। वह उस घटना के दिन को याद करते हुए कहा कि मैं अपने घर के किचन में खाना पका रही थी मेरे पीछे से चलने की आवाज आई। मुझे लगा कि मेरा बेटा आ गया। इतने में दो व्यक्ति मेरे सामने खड़े हो गए। उन्होंने मुझे पकडऩे की कोशिश की। मैंने जब चिल्लाने की कोशिश की तो इन्होंने एक दूसरे से स्प्रे छिडक़ने का इशारा किया, जिसके बाद मैं बेहोश हो गई। मुझे फिर दो दिन के बाद होश आया। यहां फिर पुलिस भी आ गई थी। जिन दो लोगों ने मेरी चोटी काटी, उन्होंने काले रंग का लिबास पहना था और चेहरे कपड़े से ढंके थे। सिर्फ  आंखें देखी जा सकती थीं, उस दिन भी वह उसी दरवाजे से भाग गए।
शमीमा का घर सडक़ के किनारे पर है, वह कहती हैं कि यहाँ घर के बाहर हमेशा पुलिस तैनात रहती है, हिना की घटना के बाद इस इलाके में पुलिस और आम लोगों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।

भारतीय एजेंसियों का है हाथ
उधर, अलगाववादी इन घटनाओं के लिए भारत की सुरक्षा एजेंसियों को जि़म्मेदार मानते हैं। विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कई बार सडक़ों पर आकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है और सरकार से इस्तीफा भी मांगा है।

महबूबा ने कहा, मास हिस्टीरिया
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को चोटियां काटने की घटनाओं को ‘मास हिस्टीरिया’ करार देते हुए कहा है कि उनकी सरकार हर वो क़दम उठाएगी और पता लगाने की कोशिश करेगी कि आखरि चोटियां काटने के पीछे क्या मकसद है।
अब तक इस मामले में मारपीट में एक आम नागरिक की भी मौत हो गई है जबकि कई लोगों को चोटी काटने के शक में आम लोगों ने मारा पीटा भी है।
पुलिस और लोगों ने हाल ही में छह विदेशी पर्यटकों को उस समय लोगों की मारपीट से बचाया, जब श्रीनगर में उनको लोगों ने चोटी काटने वाले समझकर पकड़ लिया था। पुलिस ने चोटी काटने की गलत अफवाह फैलाने वाले छह लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया है। चोटियां काटने की घटनाओं की जाँच करने के लिए पुलिस ने एक विशेष जांच दल गठित किया है।

चोटी काटने की घटनाओं पर उच्च न्यायालय सख्त
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने घाटी में चोटी काटने की घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार को उचित गश्त बढ़ाने का निर्देश दिया है और ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों को पकडऩे के लिए पुलिस को क्राइम मैपिंग प्रणाली अपनाने आदेश दिया है। घाटी में चोटी कटने के 350 से ज्यादा मामले हो चुके हैं।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति अली मोहम्मद मगरे की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश अधिवक्ता हिलाल अकबर लोन और अधिवक्ता मसर्रत कौसर द्वारा दायर जनहित याचिका पर जारी किया।
इस याचिका में घाटी में चोटी काटने की बढ़ती घटनाओं की जांच की मांग की गयी थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि चोटी काटने से घाटी की महिलाएं एक अलग तरह की शारीरिक हिंसा का सामना कर रही हैं। उनका कहना है कि घाटी में ये घटनाएं खतनाक हैं और लगातार बढ़ रही हैं और इससे महिलाओं और उनके परिजनों की रातों की नींद उड़ गयी है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार की ओर दाखिल रिपोर्ट को पढक़र न्यायमूर्ति अहमद ने पुलिस को ऐसी घटनाओं की जांच के लिए क्राइम मैपिंग का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को चोटी काटने की घटनाओं में दर्ज मामलों की जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इसके अलावा जम्मू डिवीजन के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर, 2017 को होगी।

 

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