Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Feb, 2018 11:47 AM
भारतीय माता-पिता ज्यादातर बेटियों के लिए एनआरआई दूल्हे की तलाश में रहते हैं ताकि उनकी बेटी का आने वाला भविष्य सुनहरा हो लेकिन विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आकड़े ऐसे परिजनों को परेशान कर सकते हैं। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक...
नई दिल्लीः भारतीय माता-पिता ज्यादातर बेटियों के लिए एनआरआई दूल्हे की तलाश में रहते हैं ताकि उनकी बेटी का आने वाला भविष्य सुनहरा हो लेकिन विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आकड़े ऐसे परिजनों को परेशान कर सकते हैं। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रालय में हर आठ घंटे में एक महिला अपने एनआरआई पति से तंग आकर फोन करती है ताकि उसे वापिस उसके घर भेजा जा सके। अपनी शिकायत में महिलाएं बताती हैं कि उनके शारीरिक शोषण के साथ-साथ उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है, कई महिलाओं को तो उनके पति उन्हें विदेशों में अकेला ही छोड़कर चले जाते हैं और कई महिलाओं की हालत इतनी खराब होती है कि वे खुद अपने घर वापिस नहीं लौट सकतीं। उनके पति शारीरिक से लेकर मानसिक तौर पर उन्हें प्रताड़ित करते हैं।
विदेश मंत्रालय को 1 जनवरी 2015 से 30 नवंबर 2017 के बीच 1064 दिनों में कुल 3328 शिकायतों के कॉल्स आए। आंकड़ों के मुताबिक एक दिन में तीन से ज्यादा कॉल शिकायत के लिए आए। पंजाब, तेलंगाना और गुजरात की महिलाएं एनआरआई पति से ज्यादा प्रताड़ित होती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक कोऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट ने भी कुछ साल पहले इस पर स्टडी की थी और उसने भी इस बात की पुष्टि की थी कि इन राज्यों की लड़कियां विदेशों में ज्यादा प्रभावित होती हैं। आरती राव अमेरिका में भारतीय दूतावास में काम कर चुकी है, ने बताया कि ज्यादातर भारतीय लड़के अपने माता-पिता की खुशी के लिए ही भारत में लड़कियों से शादी करते हैं। कई तो ऐसे होते हैं जो अपनी पत्नी को विदेश साथ ले जाना पसंद नहीं करते और कई साथ ले तो जाते हैं लेकिन वहां जाकर प्रताड़ित करते हैं।
एक महिला ने मंत्रालय को बताया कि उसका पति उसे अपने साथ शादी के बाद बहरीन ले गया और वहां जाकर उसने उसके वीजा डॉक्यूमेंट तक फाड़ दिए और घर में फोन तक नहीं करने दिया। किसी तरह उसने दूतावास से संपर्क किया और अपनी आपबीती सुनाई। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी महिलाओं की शिकायतें सुनने के लिए मंत्रालय ने एक पोर्टल भी बनाया है जिसका नाम MADAD रखा गया है लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी न होने की वजह से मंत्रालय तक शिकायतें नहीं पहुंच पातीं इसलिए पीड़ित महिलाओं के यह आकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं।