Edited By Pardeep,Updated: 18 Oct, 2020 04:43 AM
अगर योगी आदित्यनाथ को लखनऊ में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, तो आंध्र प्रदेश में उनके समकक्ष वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी भी मुसीबतों में फंसे हैं। मूल रूप से, वह देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एन.वी....
नई दिल्लीः अगर योगी आदित्यनाथ को लखनऊ में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, तो आंध्र प्रदेश में उनके समकक्ष वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी भी मुसीबतों में फंसे हैं। मूल रूप से, वह देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एन.वी. रमन्ना और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कई न्यायाधीशों के खिलाफ पत्र लिखकर भारत के मुख्य न्यायाधीश से जांच की मांग की। दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के जिस जज पर आरोप लगाए गए हैं, वह अप्रैल 2021 में अगला सी.जे.आई. बनने की कतार में हैं।
जगन ने ऐसा अप्रत्याशित कदम क्यों उठाया? अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जगन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह देश के शायद एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनके खिलाफ 31 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनमें से 11 की सी.बी.आई. द्वारा जांच की जा रही है और 7 मामलों में प्रवर्तन निदेशालय उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक धन के अनुपात को लेकर जांच कर रहा है।
मामलों की सुनवाई एक बिल्कुल ही धीमी गति से चल रही है, लेकिन 16 सितम्बर को जस्टिस रमन्ना ने देश भर के हाईकोर्टों को आदेश दिया कि सभी मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, एम.एल.ए.सीज के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी की जाए।
देश की किसी भी अदालत द्वारा मंजूर किए गए सभी स्टे को खत्म किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री उनकी निगरानी करेगी। ऐसे में यदि कोई परीक्षण दिन-प्रतिदिन के आधार पर शुरू किया जाता है, तो सबसे पहला पीड़ित कौन होगा? जाहिर है, आदेश के एक महीने बाद जगन जागे और जज के खिलाफ विवादास्पद पत्र लिखकर खुद को लोगों के निशाने पर ले आए। क्या जगन का पत्र उनके खिलाफ मामलों में तारपीडो की कार्रवाई कर सकता है? क्या ऐसा लगता नहीं!