Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jun, 2017 12:26 AM
भाजपा के प्रदशाध्यक्ष और जम्मू वेस्ट से विधायक सत शर्मा ने शनिवार को कहा कि शनिवार को विधानसभा में जी.एस.टी. पर विपक्ष का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण था।
श्रीनगर : भाजपा के प्रदशाध्यक्ष और जम्मू वेस्ट से विधायक सत शर्मा ने शनिवार को कहा कि शनिवार को विधानसभा में जी.एस.टी. पर विपक्ष का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण था। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के साथ बैठक में सत शर्मा ने कहा कि विपक्ष उनके जन-विरोधी रुख के चलते प्रदेश में जी.एस.टी. कार्यान्वयन में जानबूझकर बाधा बनाने की कोशिश कर रहा है। जी.एस.टी. से समाज के हर वर्ग को फायदा होगा जिसके परिणामस्वरुप सभी के लिए जीत की स्थिति बन जाएगी। हालांकि, विपक्ष ने उनकी संकीर्ण राजनीतिक के लिए विरोध को चुन लिया।
भाजपा नेता ने चेताया कि यदि जी.एस.टी. कार्यान्वयन का 1 जुलाई के बाद देरी हुई तो इससे न केवल व्यापारियों को बुरा असर पड़ेगा बल्कि आम जनता भी इससे बुरी तरह प्रभावित होगी क्योंकि जम्मू कश्मीर में माल और सेवाओं की कीमतें दोहरे कराधान के कारण आसमान छू लेगी। इसका चालू और भविष्य के विकास परियोजनाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जम्मू कश्मीर विधानसभा के विशेष सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी पार्टियों से नेता प्रस्तावित जी.एस.टी. विधेयक पर चर्चा में भाग लेने के लिए तैयार नहीं थे और उनकी विधायी जिम्मेदारी से दूर रहे।
विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने को दुर्भाग्यपूर्ण और परिहार्य करार देते हुए विधायक ने कहा कि सत्र-स्थगन के बजाय सत्र को निश्चित अवधि या ब्रेक या अवकाश के लिए स्थगित किया जाना चाहिए था ताकि सत्र को बहाल करके जी.एस.टी. पर चर्चा और पारित किया जा सके। इससे प्रदेश में जी.एस.टी. कार्यान्वयन में देरी नहीं हुई होती।
उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष का जी.एस.टी. मुद्दे पर कुछ आरक्षण हैं तो उनको मुद्दे पर विस्तृत रुप से चर्चा के लिए सदन का इस्तेमाल करना चाहिए था ताकि पूरी गलतफहमी को बैंच के सदस्यों द्वारा स्पष्ट किया जाता। शर्मा ने खेद जताया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चुनने के बजाय विपक्ष नेताओं ने विषय को राजनीतिकरण करके और राजनीति से प्रेरित बयानबाजी करके सुर्खियों को चुनना पसंद किया। विपक्ष की चिंताओं को हाल ही में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में आयोजित सर्वदलीय बैठक में दूर किया गया था लेकिन फिर भी उन्होंने बिल का विरोध करने का फैसला लिया ताकि प्रदेश में इसके कार्यान्वयन में देरी हो जाए। सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं लेकिन विपक्ष अटल है।