Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jul, 2017 08:35 PM
निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि अध्यादेश के रूप में कार्यपालिका को कानून बनाने का असाधारण अधिकार दिया गया है, लेकिन ...
नई दिल्ली : निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि अध्यादेश के रूप में कार्यपालिका को कानून बनाने का असाधारण अधिकार दिया गया है, लेकिन अध्यादेश का रास्ता बाध्यकारी परिस्थितयों में ही अपनाया जाना चाहिए। मुखर्जी ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित अपने विदाई भाषण में कहा कि मेरा मानना है कि अध्यादेश का रास्ता केवल बाध्यकारी परिस्थितयों में ही अख्तियार किया जाना चाहिए और मौद्रिक मामलों में तो इसका सहारा कतई नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यादेश का रास्ता वैसे मामलों में भी नहीं अपनाया जाना चाहिए जिन पर सदन में या इसकी किसी समिति के समक्ष विचार विमर्श किया जा रहा है अथवा किसी सदन में पेश किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई मामला ज्यादा जरूरी प्रतीत होता है तो संबंधित समिति को संबंधित स्थिति के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए और उसे एक निर्धारित समय के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहना चाहिए। निवर्तमान राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य के तौर पर &7 वर्ष तक देश की सेवा की है। उन्होंने कहा कि कभी सत्ता पक्ष में तो कभी विपक्ष में बैठकर मैंने बड़े-बड़े विद्वानों को घंटों और कई दिनों तक सुना है। उसके बाद उन्हें बहस, विचार-विमर्श और असहमति का वास्तविक महत्व समझ में आया था।