देश में 4 लाख से अधिक भिखारी, ​जानिए किस राज्य में है ज्यादा संख्या?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 02:03 PM

over 4 lakh beggars in the country

भारत एक विकासशील देश है और अभी भी लगभग 40 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा से नीचे है। देश में इस वक्त कुल 413760 भिखारी हैं जिनमें 221673 भिखारी पुरुष और बाकी महिलाएं हैं। भिखारियों की इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है...

नेशनल डेस्क: भारत एक विकासशील देश है और अभी भी लगभग 40 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा से नीचे है। देश में इस वक्त कुल 413760 भिखारी हैं जिनमें 221673 भिखारी पुरुष और बाकी महिलाएं हैं। भिखारियों की इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। वहीं दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और तीसरे नंबर पर बिहार है। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलौत ने लोकसभा में भिखारियों की संख्या का डेटा पेश किया। 
PunjabKesariलक्षद्वीप में महज दो भिखारी
डाटा के अनुसार भारत में चार लाख 13 हजार 670 भिखारी हैं। दो लाख 21 हजार 673 पुरुष हैं, जबकि एक लाख 91 हजार 997 महिलाएं हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में भिखारियों और बेघरों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। 81 हजार भिखारी सिर्फ पश्चिम बंगाल में रहते हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 65838 भिखारी हैं इनमें 41859 पुरुष और 23976 महिलाएं है। वहीं बिहार में 29723 भिखारी हैं इनमें 14842 पुरुष और 14881 महिलाएं है। लेकिन एक ऐसी जगह है जहां भिखारियों की संख्या सबसे कम है, लक्षद्वीप में महज दो भिखारी हैं।।
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राजधानी में दो हजार से अधिक भिखारी
संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार दादर नगर हवेली में 19, दमन और दीयू में 22 और अंडमान और निकोबार द्वीप पर सिर्फ 56 बेघर हैं। देश की राजधानी में दो हजार 187 भिखारी हैं। वहीं असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में महिला भिखारियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। एक प्रश्न के जवाब में गहलोत ने कहा कि इन भिखारियों को उनकी क्षमतानुसार अनुसार रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सर​कार इस तरह के बेघर और बेसहारा भिखारियों के हर संभव मदद का प्रयास कर रही है। 
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वही पिछड़े वर्गों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) से अपील की है कि खानाबदोश, भिखारियों, घुमंतू जाति और अनधिसूचित जनजातियों सरीखी श्रेणियों को अन्य पिछड़ा वर्ग के ‘अ’ समूह में शामिल करें। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उप-समूहों में विभाजित करने के लिए एक आयोग का गठन किया था, ताकि समुदाय के सबसे पिछड़े लोग आरक्षण से अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकें। बैकवर्ड क्लासेस (बीसी) कल्याण संघ के अध्यक्ष आर.कृष्णैया ने इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है।

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