नापाक पड़ोसी का दिया दर्द: आंखों के सामने अपनों को मरते देख रहे बार्डरवासी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 08:23 PM

pain of border firing  seeing loved ones dying in front of eyes

बार्डर पर जिस तरह से हालात बने हुए हैं उससे लोगों में डर और दहशत के साथ अब गुस्सा भी आने लगा है। जिन्दगी को रिस्क में डालकर सीमाओं पर रहने वाले लोग फायरिंग में न सिर्फ घायल होते हैं बल्कि अपने घरवालों और करीबी रिश्तेदारों को आंखों के सामने मरते भी...

जम्मू: बार्डर पर जिस तरह से हालात बने हुए हैं उससे लोगों में डर और दहशत के साथ अब गुस्सा भी आने लगा है। जिन्दगी को रिस्क में डालकर सीमाओं पर रहने वाले लोग फायरिंग में न सिर्फ घायल होते हैं बल्कि अपने घरवालों और करीबी रिश्तेदारों को आंखों के सामने मरते भी देखते हैं। सिया खुर्द के जीत राज ने कहा, जख्म तो भर जाते हैं पर जो घाव दिल पर लगते हैं, वो अंतिम समय तक नहीं भरते हैं।


19 जनवरी को जीत राज की बीवी बचनो देवी उसकी आंखों के सामने मर गई और वो और उसका बेटा घायल हो गया। उसने कहा कि मुझे जो भी घाव मिले हैं वो आज नहीं तो कल ठीक हो जाएंगे पर मेरी बीवी की मौत का गम मेरे साथ हमेशा के लिए रहेगा। वो मेरी आंखों के सामने मर गई और मैं कुछ नहीं कर सका। रविवार को भी कानाचक में पाक की गोलीबारी में एक सिविल नागरिक मारा गया जबकि दो लोग घायल हो गए। वीरवार रात से जारी गोलीबारी में अभी तक 12 लोग मारे गए हैं जबकि 60 से ज्यादा लोग घायल हैं।

जवान को बेटे को आंखों के सामने देखा दम तोड़ते 

करोटोना के कृष्ण लाल ने अपने बेटे साहिल को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ते देखा। 25 वर्षीय साहिल की मौत पर बाप के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। कृष्ण लाल ने कहा, मैं अभागा बाप हूं कि बेटे की लाश हाथों से उठाई है। लाल खुद भी फायरिंग में घायल हो गए थे और उनका जेएमसी में इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने भारत-पाक गोलीबारी का दंश झेला है पर अब आगे हमारे बच्चे कब तक झेंलेगे।

PunjabKesari
सुनसान पड़े गांव
फायरिंग के डर से लोगों ने घर-बाहर छोडक़र या तो रलीफ कैंपों में या फिर रिश्तेदारों के घर डेरा जमा लिया है। अरनिया कस्बे की 18000 आबादी है पर फायरिंग के कारण कुछ गिने-चुने लोगों के अलावा गांव में कोई दिख नहीं रहा। हर जगह सन्नाटा पसरा है। बार्डर की करीब 36000 आबादी शैलिंग के कारण माइग्रेट हो चुकी है। जम्मू के डिप्टी कमिश्रर कुमार रजीव रंजन के अनुसार अरनिया और सुचेतगढ़ के 58 गांव गोलीबारी से प्रभावित हुए हैं। सांबा और रामगढ़ सेक्टर से पांच हजार लोग विस्थापित हुए हैं जबकि हीरनागर से करीब तीन हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया है।

पशुओं की मौत
बार्डर के लोगों की समस्या यह है कि गोलीबारी के कारण वे तो विस्थापित होकर रलीफ कैंपों में चले जाते हैं पर अने मवेशियों को कहां छोड़े। गोलीबारी का दंश इन बेजुबान जानवरों को भी सहना पड़ता है। वीरवार से जारी गोलीबारी में अब तक 131 जानवर मारे जा चुके हैं जबकि 93 घायल हैं। हांलाकि पांच हजार मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर लाया गया है लेकिन रोज-रोज के इस झंझट से लोग अब परेशान हो चुके हैं। PunjabKesari

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!