Edited By ,Updated: 31 Mar, 2017 12:07 PM
हुरियत कांफ्रैंस (जी) चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में लंबे समय से पत्थरबाजी को प्रतिरोध के उपकरण के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
श्रीनगर : हुरियत कांफ्रैंस (जी) चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में लंबे समय से पत्थरबाजी को प्रतिरोध के उपकरण के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है। गिलानी ने कहा कि पाकिस्तानी को पत्थरबाजी के लिए उकसाने के लिए दोषी ठहराना हास्यास्पद है। भारतीय प्राधिकरण डर से पीड़ित है और जमीनी हालातों को समझने के बजाय वह अनावश्यक रुप से पाकिस्तान को कोस रहे हैं।
भारत पर जम्मू कश्मीर के लोगों से अन्याय करने का आरोप लगाते हुए गिलानी ने कहा कि कश्मीरियों के साथ किए जा रहे दुव्र्यवहार से साबित होता है कि भारतीय प्राधिकरण उनसे अन्याय कर रहे है, इसलिए उनका असंतोष और क्रोध दिखाने के लिए लोगों को अधिकार है।
मुगल सेना के खिलाफ पथराव
पाकिस्तान के खिलाफ आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीरी लोगों ने मुगल सेना के खिलाफ भी प्रतिरोध और पत्थरबाजी की थी जबकि उस समय पाकिस्तान नक्शे पर मौजूद नहीं था।
डोगरा शासन और पथराव
डोगरा शासन के खिलाफ कश्मीर छोड़ो आंदोलन का हवाला देते हुए गिलानी ने कहा कि लोगों ने उनका असंतोष व्यक्त करते हुए पत्थरबाजी का सहारा लिया था क्योंकि वह डोगरा शासकों के अत्याचारी दृष्टिकोण का विरोध कर रहे थे। आत्मनिर्णय के अधिकार के आंदोलन के दौरान 22 सालों के लिए पत्थरबाजी एक उपाय और विशेषता उपकरण था।