Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 10:09 AM
इराक के मोसुल शहर में आईएसआईएस आतंकवादियों के हाथों 39 भारतीयों के मारे जाने की केन्द्र सरकार की पुष्टि के बाद मृतकों के परिजनों की उम्मीद और तलाश भी खत्म हो गई। मंगलवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा राज्यसभा में जब 39 भारतीयों की मौत की खबर...
नई दिल्लीः इराक के मोसुल शहर में आईएसआईएस आतंकवादियों के हाथों 39 भारतीयों के मारे जाने की केन्द्र सरकार की पुष्टि के बाद मृतकों के परिजनों की उम्मीद और तलाश भी खत्म हो गई। मंगलवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा राज्यसभा में जब 39 भारतीयों की मौत की खबर सुनाए जाने के बाद मृतकों के परिवारों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा। हर आंख नम हो गई और बेबस दिल की यह उम्मीद भी टूट गई कि उनके अपने एक दिन वापस लौट आएंगे। वहीं अपनों को खो चुके परिवारों ने डीएनए रिपोर्ट दिखाने की मांग की है। मृतकों के परिजनों ने कहा कि 'हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें डीएनए रिपोर्ट दिखाई जाए। हम चार साल तक अपनों को वापिस लाने के लिए दौड़ते रहे और अब हमें टीवी से यह खबर मिल रही है कि वो जिंदा नहीं रहे। अपनों को खो चुके परिवार के लोगों का कहना कि हम तो बिछड़े प्रियजनों से एक बार गले भी न पाए, एक उम्मीद थी कि वो वापिस आएंगे लेकिन सरकार की एक खबर ने सबकुछ झटके से खत्म कर दिया।
किसी की मां तो किसी की बहन करती रही इतंजार
अपने भाई को खो चुकी गुरविंदर कौर बात करते-करते फफक कर रो पड़ी। उसने रोते हुए बताया कि भाई मनजिंदर सिंह रोजगार के लिए इराक गया था। ‘‘एक दिन मेरे भाई ने इराक से मुझे फोन पर बताया कि वह फंस गया है और आतंकी गतिविधियों की वजह से उत्पन्न अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण उसका वहां से निकलना मुश्किल लग रहा है।’’ गुरविंदर ने कहा कि इन वर्षों में भारत सरकार ने उनसे सहानुभूति से बात करने के अलावा और कुछ भी नहीं किया।’
-पिछले साल अक्तूबर में पंजाबी मूल के आठ लोगों के रिश्तेदारों ने अमृतसर के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय में अपने डीएनए के नमूने दिए थे ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका मिलान इराक में फंसे भारतीय लोगों के साथ किया जा सके। उस समय उन लोगों को शायद ही यह पता होगा कि महज पांच माह के अंदर उनकी सबसे डरावनी आशंका सही साबित हो जाएगी।
-तरनतारन जिले के मनोचहल गांव की बलविंदर कौर भी अपने आंसू छिपाने की नाकाम कोशिश करती नजर आईं। मृत घोषित 39 लोगों में उनका बेटा रणजीत सिंह भी शामिल था। उन्होंने कहा, ‘‘एक मां के लिए अपनी औलाद को खोने से बड़ा कोई गम नहीं होता कोई भी भारतीय अधिकारी यह बताने की हालत में नहीं था कि आखिर मेरा लाल कहां है और किस हाल में है।’’
-अमृतसर जिले के जलालुसमा गांव की गुरमीत कौर ने कहा कि उन्हें फोन कॉल के जरिये इस बात की जानकारी दी गई कि उनका भाई गुरचरण सिंह इराक में‘ बुरे हालात में फंस गया है।’ गुरमीत ने कहा कि किसी ने उन्हें यह नहीं बताया कि उसका भाई मर गया है या जिंदा है। आज उन्हें इस बात की जानकारी दी गई।