सदन बाधित होने से जनता में छवि धूमिल हुई: सुमित्रा

Edited By ,Updated: 16 Dec, 2016 04:33 PM

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लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में बहुमूल्य करीब 92 घंटे का समय बरबाद होने पर नाराजगी जताई और कहा कि इससे जनता में सांसदों की छवि धूमिल हुई है।

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में बहुमूल्य करीब 92 घंटे का समय बरबाद होने पर नाराजगी जताई और कहा कि इससे जनता में सांसदों की छवि धूमिल हुई है। महाजन ने सत्रावसान करते हुए कहा कि इस सत्र में व्यवधानों के पश्चात बाध्य होकर सभा स्थगित किए जाने के कारण 91 घंटे 59 मिनट का समय नष्ट हुआ जो हम सब के लिए अच्छी बात नहीं है और इससे जनता में हमारी छवि धूमिल हुई है। उन्होंने कहा, कि मुझे आशा है आगामी सत्रों में कोई व्यवधान नहीं होगा और हम सभी बेहतर ढंग से काम करेंगे। जिसके परिणामस्वरूप सार्थक चर्चाएं एवं सकारात्मक विचार विमर्श होंगे। मुझे सभा के सभी दलों के नेताओं और सदस्यों से समर्थन मिलने का विश्वास है।
 

लोकसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों को क्रिसमस एवं नववर्ष 2017 की शुभकामनाएं देते हुए यह संकल्प लेने की अपील की कि वे अपने मतभेदों एवं असहमति को संसदीय माध्यमों से उठाएंगे और सदन को बाधित नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम यह सार्थक रूप से संकल्प लें कि नववर्ष में हम यह सुविचारित निर्णय लेंगे कि हम सभी उपलब्ध संसदीय माध्यमों से का प्रयोग करते हुए अपने मतभेद और असहमति को पुरजोर ढंग से दर्ज कराएंगे और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि सभा में कम से कम व्यवधान तथा अधिक से अधिक संवाद और चर्चाएं हों।

 

सोलहवीं लोकसभा के दसवें सत्र में 21 बैठकें हुईं जो 19 घंटे चलीं। इस सत्र में नौ सरकारी विधेयक पेश किये गये जबकि कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2016 तथा दिव्यांग व्यक्ति विधेयक 2016 पारित किये गये। वर्ष 2016-17 के लिये पूरक अनुदान मांगें तथा 2013-14 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों पर चर्चा के उपरांत उनसे जुड़े विनियोग विधेयक भी पारित किये ग। लोकसभा में सूचीबद्ध किए गए 440 तारांकित प्रश्नों में से 50 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। शेष के उत्तर 5060 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर के साथ लिखित रूप से दिए गए। 
 

प्रश्नकाल के पश्चात सदस्यों ने शून्यकाल में लोकमहत्व के 124 मामले उठाए जबकि नियम 377 के अंतर्गत 311 मामले उठाए। विभिन्न स्थायी समितियों ने 50 प्रतिवेदन पेश किए। मंत्रियों ने विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर 47 वक्तव्य दिये तथा 1772 पत्र सभा पटल पर रखे गए। संसदीय कार्य मंत्री ने सरकारी कामकाज के बारे में चार वक्तव्य दिए। नोटबंदी को लेकर नियम 193 के तहत अल्पकालिक चर्चा सूचीबद्ध की गई थी लेकिन उस पर आंशिक चर्चा ही हो पायी। 

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