हिंदू धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला को अपने धर्मस्थलों में जाने की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 11:25 PM

parsi woman married in hinduism allowed her to go to her places of worship

एक पारसी ट्रस्ट ने सदियों पुरानी परंपरा आज तोड़ दी और उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह अपने समाज से बाहर विवाह करने वाली पारसी महिला और उसकी बहनों को उनके माता-पिता का निधन होने की स्थिति में ‘टावर आफॅ साइलेंस’ आने और प्रार्थना में सम्मिलित होने...

नई दिल्ली: एक पारसी ट्रस्ट ने सदियों पुरानी परंपरा आज तोड़ दी और उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह अपने समाज से बाहर विवाह करने वाली पारसी महिला और उसकी बहनों को उनके माता-पिता का निधन होने की स्थिति में ‘टावर आफॅ साइलेंस’ आने और प्रार्थना में सम्मिलित होने की अनुमति देगा।  


प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने जी एम गुप्ता और उनकी विवाहित बहनों को उनके माता पिता का निधन होने की स्थिति मे टेंपल आफॅ फायर में प्रार्थना और अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति देने के ‘वलसाड पारसी ट्रस्ट’ के नजरिये की प्रशंसा की।  


ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता और प्रतिवादी (ट्रस्ट) के बीच यह सहमति और घोषणा हुई है कि ट्रस्ट अनुकंपा के आधार पर याचिकाकर्ता को वलसाड में टावॅर आफॅ साइलेंस परिसर के बंगले के प्रार्थना कक्ष के अंदर अपने माता पिता के अंतिम संस्कार की प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति देगा। इस टावर का उपयोग पारसी आस्था के अनुरूप अंत्येष्टि के लिये होता है जिसमे पारंपरिक प्रथा के अनुसार मृतक के शव को निष्पादन के लिये सूर्य और गिद्धों के हवाले कर दिया जाता है।   संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं। 


पीठ ने कहा कि पारसी ट्रस्ट का वक्तव्य याचिकाकर्ता (गुप्ता) और उनकी बहनों की मौजूदा जरूरत को पूरा करता है और साथ ही स्पष्ट किया कि गुप्ता के सांविधानिक अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर 17 जनवरी को विचार किया जाएगा। संविधान पीठ ने जब यह पूछा कि क्या वह इस बारे में आदेश पारित कर सकती है कि अब ऐसी महिलाओं को अंतिम प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति होगी तो वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने सिर्फ वलसाड ट्रस्ट से ही निर्देश प्राप्त किया है और ऐसे कई ट्रस्ट हैं। 

 

परंपरा के अनुसार एक पारसी महिला के अपने समाज से बाहर विवाह के बाद वह अपनी धार्मिक पहचान खो देती है और इसके परिणामस्वरूप उसके पारसी परिवार के सदस्यों की मृत्यु होने की स्थिति में उसका ‘टावर आफॅ साइलेन्स’ में प्रवेश प्रतिबंधित होता है।  सुब्रमणियम ने कहा कि पूरी ईमानदारी से ट्रस्ट इस महिला को आने की अनुमति देने और उसके लिए पुजारी की व्यवस्था करेंगे यदि वह स्वंय अंतिम प्रार्थना करने की व्यवस्था नहीं कर सकती।
 

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