शहर में 9 हजार लोग इस बीमारी से ग्रस्त...

Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 11:08 AM

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आमतौर पर अस्पतालों की हरेक ओ.पी.डी. में मरीजों की भीड़ रहती है लेकिन साइकेट्रिक विभाग में हमेशा मरीजों की संख्या दूसरे विभागों से काफी कम होती है लेकिन इसके बावजूद शहर में करीब 5 हजार से ज्यादा लोग स्किजोफ्रेनिया(एक तरह का पागलपन) से ग्रस्त हैं।

चंडीगढ़(रवि) : आमतौर पर अस्पतालों की हरेक ओ.पी.डी. में मरीजों की भीड़ रहती है लेकिन साइकेट्रिक विभाग में हमेशा मरीजों की संख्या दूसरे विभागों से काफी कम होती है लेकिन इसके बावजूद शहर में करीब 5 हजार से ज्यादा लोग स्किजोफ्रेनिया(एक तरह का पागलपन) से ग्रस्त हैं। जी.एम.सी.एच. सैक्टर-32 अस्पताल और पी.जी.आई. के साइकेट्रिक विभाग द्वारा यह आंकड़ा इकट्ठा किया गया है। इन आंकड़ों में जहां 5 हजार मरीज स्किजोफ्रेनिया से पीड़ित है। इनमें से 2000 मरीज ऐसे हैं जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत है। वहीं मानसिक बीमारियों के कुल मरीजों की बात करें तो मरीजों का आंकड़ा 9 हजार से ऊपर जाता है।

 

80 प्रतिशत मरीजों को स्किजोफ्रेनिया :        
जी.एम.सी.एच. सैक्टर-32 अस्पताल के साइकैट्रिक विभाग के हैड प्रोफैसर बी.एस. चवन की मानें तो मानसिक बीमारियों से ग्रस्त मरीजों में 80 प्रतिशत मरीजों को स्किजोफ्रेनिया होता है। डाक्टर्स की मानें तो लोगों को लगता है कि स्किजोफ्रेनिया कोई बीमारी नहीं हैं। वहीं ज्यादातर मरीजों को स्किजोफ्रेनिया के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। मरीज इलाज के लिए अस्पताल तब आता जब बीमारी काफी बढ़ जाती है। जिससे कि इलाज में काफी दिक्कतें आती हैं। स्किजोफ्रेनिया में 30 प्रतिशत मामलों में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है, जबकि बाकी मामलों में 90 प्रतिशत तक ही सुधार हो पाता है। डाक्टर चवन की मानें तो 60 प्रतिशत स्किजोफ्रेनिया मरीज किसी न किसी और बीमारी से भी ग्रस्त रहते हैं व साथ ही इन मरीजों की उम्र भी औसत व्यक्तियों से 10 से 20 वर्ष कम होती है।

 

जानलेवा हो सकता है स्किजोफ्रेनिया :
डाक्टर्स की मानें तो लोगों में स्किजोफ्रेनिया को लेकर जागरूकता नहीं है। जितना जल्दी इस बीमारी का पता चलेगा इलाज उतना आसान हो जाता है। ज्यादातर स्किजोफ्रेनिया से पीड़ित मरीज के परिजन उसकी शुरूआती लक्षणों को अनदेखा कर देते है। वहीं अगर इस बीमारी का डायग्नोज न हो पाए तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। इसके साथ ही मरीज को कई तरह की मैडीकल प्रॉब्लम भी हो सकती हैं। जैसे दोहरा व्यक्तित्व, स्वभाव में बदलाव, बिना किसी बात पर बहुत गुस्सा आना, छोटी-छोटी चीजों पर शक करना, इस बीमारी में मरीज न सिर्फ अपने आपको, बल्कि किसी दूसरे को नुक्सान पहुंचा सकता है।

 

नहीं पता कारण :
अभी तक उक्त बीमारी की असल वजह का पता नहीं चल पाया है, लेकिन डाक्टरों की मानें तो यह बीमारी अनुवांशिक, बॉयोलोजिकल, कमजोर इम्यून सिस्टम या किसी तरह के वायरल इंफैक्शन से भी हो सकती है।

 

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