गोधरा में अतीत भूलकर नौकरी, बिजली पर बात करना चाहते हैं लोग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Dec, 2017 04:05 PM

people want to talk about jobs by forgetting past in godhra

गोधरा पंद्रह साल बाद अपने अतीत को भूलकर भविष्य के बारे में बात करने को तैयार दिख रहा है। गुजरात के इस शहर में साल 2002 में दंगे के बाद ङ्क्षहसा की छवि लोगों की यादों में धुंधली पड़ने लगी है। इसकी बजाए वे नौकरी, लगातार बिजली गुल रहने और खस्ताहाल...

गोधरा (गुजरात): गोधरा पंद्रह साल बाद अपने अतीत को भूलकर भविष्य के बारे में बात करने को तैयार दिख रहा है। गुजरात के इस शहर में साल 2002 में दंगे के बाद ङ्क्षहसा की छवि लोगों की यादों में धुंधली पड़ने लगी है। इसकी बजाए वे नौकरी, लगातार बिजली गुल रहने और खस्ताहाल आधारभूत संरचना के बारे में बात कर रहे हैं। गोधरा के मतदाताओं के लिए मौजूदा राज्य विधानसभा चुनावों में यही मुख्य मुद्दे हैं। गाड़ियों को ठीक करने का काम करने वाले 30 वर्षीय असीम का कहना है कि गोधरा के बारे में चुनावी मुकाबले या राज्य की राजनीति में इस बार बातें नहीं हो रही।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि किसी भी पार्टी का बड़ा नेता इस बार गोधरा के बारे में बात नहीं कर रहा। क्या इससे हमें दो जून का खाना मिलेगा। नहीं, इससे केवल हमें बदनामी मिलेगी।’’ कांग्रेस के गढ़ गोधरा निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के राजेंद्र पटेल और इसके पूर्व सदस्य, मौजूदा विधायक सी.के.राउलजी के बीच मुकाबला है। रौलजी अगस्त में पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे। मुकाबले में भाजपा के बागी जसवंत परमार भी है जो दोनों मुख्य दावेदारों के वोट काट सकते हैं। पटेल और परमार पिछड़े बक्शी पंच समुदाय से आते हैं जिनसे करीब 90000 मतदाता हैं।

भाजपा 2007 के बाद से इस सीट पर नहीं जीती है। पार्टी राउलजी के कारण इस बार जीतने की उम्मीद कर रही है। वह 1990 से चुनाव लड़ रहे हैं और लोगों के साथ उनका मजबूत नाता है। उधर, बेकरी की दुकान चलाने वाले पाटीदार शांति और दिनेश पटेल लगातार बिजली गुल रहने जैसे मुद्दे से चिंतित हैं। इससे उनके कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सिग्नल फाडिया के निकट एमआईएम मस्जिद के सामने हुसैन अब्दुल रहमान ने कहा, ‘‘जो हुआ, वह अब अतीत है। हमें रोजगार की जरूरत है क्योंकि कई मुस्लिम लड़कों को यहां महज छोटी-मोटी नौकरी ही मिल पाती है।’’ असीम की दुकान में गाड़ी ठीक कराने आए रजत ने कहा धार्मिक विभाजन इस बार मुद्दा नहीं है। असीम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए मायने नहीं रखता कि वह किस धर्म के हैं। मेरे लिए बस ये मायने रखता है कि वह एक अच्छे मैकेनिक हैं।’’

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