53 वर्षों से हर वर्ष हज़ारों मरीजों का इलाज़ करता हैं PGI का पुअर पेशैंट सैल

Edited By ,Updated: 16 Nov, 2016 11:22 AM

pgi poor patient cell

पी.जी.आई. चंडीगढ़ 53 वर्षों से ऐसे हजारों मरीजों को नई जिंदगी देता आ रहा है जिनका इलाज करने से दूसरे अस्पताल इंकार कर देते हैं।

चंडीगढ़ (रवि): पी.जी.आई. चंडीगढ़ 53 वर्षों से ऐसे हजारों मरीजों को नई जिंदगी देता आ रहा है जिनका इलाज करने से दूसरे अस्पताल इंकार कर देते हैं। पी.जी.आई. में रोजाना दूरदराज से हजारों की तादाद में मरीज उम्मीद की किरण लेकर आते हैं लेकिन इलाज में आ रही आर्थिक तंगी उनकी जीने की आस को तोड़ देती है। ऐसे में पी.जी.आई. का पुअर पेशैंट असिस्टैंट सैल इन मरीजों के लिए संजीवनी का काम करता है। पुअर पेशैंट सैल हर वर्ष गरीबी रेखा से नीचे का जीवन बसर कर रहे 10 हजार मरीजों का न सिर्फ खर्च वहन करता है, बल्कि अस्पताल से जाने के बाद की दवा का भी प्रबंध करता है।  

 

पुअर पेशैंट सैल के इंचार्ज डाक्टर विपिन कौशल ने बताया कि पब्लिक डोनेशन, गवर्नमैंट ग्रांट और पेशैंट गाइडैंस के जरिए गरीबी रेखा से नीचे के  मरीजों की मदद की जाती है जिसमें एक्सीडैंटल, ट्रॉमा, एमरजैंसी, किडनी, वॉर्ड में एडमिट गंभीर मरीज, न्यूरो की संबंधित बीमारी के साथ-साथ कई और बीमारियों के गरीब मरीजों को इस सैल द्वारा मदद की जाती है। डाक्टर कौशल ने बताया कि उनकी पहली प्राथमिकता एमरजैंसी व जान से खतरे वाली बीमारियों को रहती है, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके।  

 

उत्तर प्रदेश व बिहार से आते हैं अधिकांश गरीब मरीज 
डाक्टर कौशल ने बताया कि ज्यादातर पुअर पेशेंट पंजाब, उत्तर प्रेदश, बिहार से आते हैं, इसके आलावा हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रेदश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रेदश से भी मरीज आते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ के निवासियों को एडमिनिस्ट्रेशन भी काफी आॢथक मदद करता है। 

 

क्या करे गरीबी रेखा से नीचे वाला मरीज?
पी.जी.आई. पुअर पेशैंट सैल की सुविधा लेने के लिए गरीबी रेखा से नीचे के मरीज को संबंधित विभाग का डाक्टर इलाज के खर्चे का एक आकलन बता देता है। जिसके बाद वह उसके सारे कागज बी.पी.एल., राशन कार्ड आदि चैक कर उसे पुअर पेशैंट सैल में रैफर कर देता है। यहां रैफर किए जाने के बाद मरीज के सभी कागज चैक किए जाते हैं। मरीज की जांच पड़ताल की जाती है कि क्या वाकई मरीज गरीबी रेखा से नीचे है या नहीं जिसके बाद उसे पुअर फ्री कर दिया जाता है। डाक्टर कौशल ने बताया कि कई बार खर्चा 2 लाख रुपए से भी ज्यादा हो जाता है जिसके लिए हैल्थ मिनिस्ट्री से मदद ली जाती है। 

 

पिछले वर्ष डोनेट हुए 29 लाख रुपए
पुअर पेशैंट सैल में प्राइवेट डोनेशन भी की जाती है जिसके लिए बाकायदा डोनेशन करने वाले को इंकम टैक्स में छूट दी जाती है। पिछले वित्तीय वर्ष 2014-2015 के बीच में पी.जी.आई. में 29 लाख रुपए डोनेट हुए थे जिसमें से 23 लाख रुपए गरीब मरीजों पर खर्च किए गए। वहीं वर्ष 2015 से 2016 के बीच में 37 लाख रुपए डोनेट हुए जबकि 42 लाख रुपए गरीबी रेखा से नीचे के मरीजों पर इलाज के लिए खर्च किए गए।  

 

इन स्कीमों के तहत की जाती है मदद
राष्ट्रीय आरोग्य निधि
हैल्थ मिनिस्टर कैंसर पेशैंट फंड (एच.एम.सी.पी.एफ.) 
हैल्थ मिनिस्टर डिस्क्रीशनरी ग्रांट (एच.एम.डी.जी.)
डाक्टर अम्बेदकर मैडीकल ऐड स्कीम
प्राइम मिनिस्टर रिलीफ फंड
चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.एस.बी.के.)
इम्प्लाय स्टेट इंश्योरैंस (ई.एस.आई.)
वैल्फेयर एजैंसिज और एन.जी.ओ.
 

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