#MannKiBaat: मोदी का इमरजेंसी के बहाने कांग्रेस पर निशाना, पढ़ी 'अटलजी' की कविता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jun, 2017 02:24 PM

pm narendra modi begins address to the nation in his monthly radio

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लगभग चार दशक पहले लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए आज कहा कि यह काली रात देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बड़ा आघात थी।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लगभग चार दशक पहले लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए आज कहा कि यह काली रात देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बड़ा आघात थी। आकाशवाणी पर अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 33वें संस्करण में 25 जून की रात लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए मोदी ने कहा कि 42 वर्ष पहले की इस रात को कोई भी लोकतंत्र प्रेमी और भारतवासी भुला नहीं सकता। उन्होंने कहा कि एक प्रकार से देश को जेलखाने में बदल दिया गया था। विरोधी स्वर को दबोच दिया गया था। जयप्रकाश नारायण सहित देश के गण्यमान्य नेताओं को जेलों में बंद कर दिया था। न्याय व्यवस्था भी आपातकाल के उस भयावह रूप की छाया से बच नहीं पाई थी। अखबारों को तो पूरी तरह बेकार कर दिया गया था।

लोकतंत्र के संरक्षण के लिए हमेशा सजग रहे युवा
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र एक व्यवस्था है और एक संस्कार भी है। इसके प्रति नित्य जागरूकता जरूरी है। लोकतंत्र को आघात पहुंचाने वाली बातों को भी स्मरण करना होता है और लोकतंत्र की अच्छी बातों की दिशा में आगे बढऩा होता है। उन्होंने युवाओं और लोकतंत्र प्रेमियों का आह्वान किया कि वे लोकतंत्र के संरक्षण के लिए हमेशा सजग रहें। उन्होंने कहा कि आज के पत्रकारिता जगत के विद्यार्थी, लोकतंत्र में काम करने वाले लोग, उस काले कालखंड को बार-बार स्मरण करते हुए लोकतंत्र के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे हैं और करते भी रहने चाहिए।

पीएम ने पढ़ी अटलजी की कविता
मोदी ने आपातकाल को याद करते हुए आगे कहा ,उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जी भी जेल में थे। जब आपातकाल को एक वर्ष हो गया, तो अटल जी ने एक कविता लिखी थी और उन्होंने उस समय की मन:स्थिति का वर्णन अपनी कविता में किया है, जिसकी पंक्तियां इस प्रकार हैं :


झुलसाता जेठ मास, शरद चांदनी उदास,
झुलसाता जेठ मास, शरद चांदनी उदास,
सिसकी भरते सावन का,
अंतर्घट रीत गया,
एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया।।


सींखचों में सिमटा जग,
किंतु विकल प्राण विहग,
सींखचों में सिमटा जग,
किंतु विकल प्राण विहग,
धरती से अंबर तक, धरती से अंबर तक,
गूंज मुक्ति गीत गया,एक बरस बीत गया।।


पथ निहारते नयन, गिनते दिन पल-छिन,
पथ निहारते नयन, गिनते दिन पल-छिन,
लौट कभी आएगा, लौट कभी आएगा,
मन का जो मीत गया, एक बरस बीत गया।।


मोदी ने कहा कि उस समय लोकतंत्र प्रेमियों ने बड़ी लड़ाई लड़ी और इस महान देश ने जब मौका मिला तो चुनाव के माध्यम से उस ताकत का प्रदर्शन कर दिया जिससे पता चलता है कि भारत के जन-जन की रग-रग में लोकतंत्र किस तरह से व्याप्त है, जन-जन की रग-रग में फैला हुआ। लोकतंत्र को देश की धरोहर बताते हुए उन्होंने देशवासियों से संजो कर संरक्षित रखने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि ये लोकतंत्र का भाव ये हमारी अमर विरासत है। इस विरासत को हमें और सशक्त करना है।

बता दें कि प्रधानमंत्री इस समय अमेरिकी दौरे पर हैं और सोमवार को उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होगी। मन की बात कार्यक्रम को 'नरेंद्र मोदी ऐप' और 'माई गवर्नमेंट फोरम' में सुना जा सकता है और यहां लोग अपने आइडिया और सुझाव साझा कर सकते हैं। मोदी ने भी कहा कि उन्हें यहां अपने विचार साझा करना बेहद पंसद है। इतना ही नहीं आप टोल फ्री नंबर पर हिंदी या इंग्लिश में मैसेज रिकॉर्ड करके प्रधानमंत्री को भेज सकते हैं। इसके साथ ही 1922 पर मिस्ड कॉल करके और एसएमएस पर मिले लिंक को क्लिक करके प्रधानमंत्री को सुझाव दे सकते हैं।

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