PMO के प्रश्नों से पुलिस प्रमुखों में हड़कम्प

Edited By ,Updated: 28 Oct, 2016 09:19 AM

pmo questioning to police chief

प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) के प्रश्नों और एक आर.टी.आई. आवेदन ने सी.बी.आई., आर.पी.एफ, सी.आई.एस.एफ, बी.एस.एफ, सी.आर.पी.एफ. सहित लगभग 20 केन्द्रीय पुलिस संगठनों में हड़कम्प मचा दिया है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) के प्रश्नों और एक आर.टी.आई. आवेदन ने सी.बी.आई., आर.पी.एफ, सी.आई.एस.एफ, बी.एस.एफ, सी.आर.पी.एफ. सहित लगभग 20 केन्द्रीय पुलिस संगठनों में हड़कम्प मचा दिया है। आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता द्वारा पी.एम.ओ. से किए गए प्रश्र साधारण हैं। उसने पूछा कि क्या इन पुलिस संगठनों के पूर्व प्रमुखों (डी.जी.) में से किसी को सुरक्षा कवर या वाहन सहित कोई सुविधाएं उपलब्ध करवा रखी हैं। इन पुलिस संगठनों के निदेशकों और महानिदेशकों के कार्यालय में जब पी.एम.ओ. के  ये प्रश्र पहुंचे तो वहां हड़कम्प मच गया। बताया गया कि सी.बी.आई. के एक पूर्व निदेशक को 22 सुरक्षा कर्मचारी और 2 कारों की सुविधा प्राप्त है। सी.बी.आई. यह सुविधा केन्द्रीय गृह मंत्रालय की जानकारी के बिना उपलब्ध करवा रही है। यह पूर्व निदेशकों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने की पुरानी प्रक्रिया है।

कुछ पूर्व निदेशकों को 2-3 सुरक्षा गार्ड और कुछ घरेलू नौकरों की सुविधा उपलब्ध है जिनमें ड्राइवर आदि शामिल हैं मगर विवादास्पद पूर्व सी.बी.आई. निदेशक 24 घंटे की सुरक्षा उपलब्ध चाहते हैं और संगठन उनको ऐसी सुविधा उपलब्ध करवा रहा है। आर.टी.आई. का आवेदन निदेशक के टेबल पर पहुंचने से वहां आतंक पैदा हो गया। यह प्रबंध अब खत्म किया जा रहा है, केवल 2 गार्ड ही उपलब्ध किए गए हैं और दर्जनों वापस बुलाए गए हैं। रेलवे सुरक्षा बल (आर.पी.एफ.) के सूत्रों का कहना है कि यह प्रक्रिया वर्षों से है कि पुलिस के सभी पूर्व प्रमुखों को सेवानिवृत्ति के बाद सहायता दी जाती है। ऐसी ही व्यवस्था इंटैलीजैंस ब्यूरो (आई.बी.) में भी है। यह मामला सेवानिवृत्ति के भत्ते और सुविधा का एक हिस्सा ही माना जाता है।

पूर्व महानिदेशकों को सुरक्षा का खतरा
सारा मामला दशकों तक गुप्त ही रखा गया और किसी ने कभी प्रश्र नहीं उठाया। आर.टी.आई. के युग में और पी.एम. के कड़े रुख से महानिदेशक अब सुरक्षा कवर पाने के लिए दौड़-धूप कर रहे हैं। किसी कानून या नियम के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि पूर्व महानिदेशकों को सुरक्षा और सहायता दी जाए। बताया जाता है कि अगर इन अनधिकृत सुरक्षा कर्मचारियों की गिनती की जाए तो यह एक बटालियन के बराबर होगी। कुछ पूर्व महानिदेशकों को वास्तव में सुरक्षा का खतरा है। उनकी सुरक्षा का काम केन्द्रीय गृह मंत्रालय या राज्य पुलिस विभाग करते हैं मगर सी.आई.एस.एफ., आर.पी.एफ. के महानिदेशकों को सुरक्षा का कैसे खतरा हो सकता है। पुलिस संगठनों में जिस तरह प्रक्रिया चल रही है, उससे स्पष्ट होता है कि सेवानिवृत्ति के बाद डी.जी. द्वारा सुरक्षा बलों के किए जा रहे दुरुपयोग के दिन अब अतीत की बात हो जाएगी।

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