इन राज्यों पर बढ़ा प्रदूषण के कारण बीमारियों का बोझ, उपराष्ट्रपति ने जारी की रिपोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 05:42 PM

pollution increased in this states

उत्तरी राज्यों में पिछले 16 वर्षों में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा बढ़ा है जिससे भारत दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में शुमार हो गया है और श्वास एवं हृदय संबंधी रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। देश के सभी राज्यों में वर्ष 1990 से 2016 तक...

नेशनल डेस्क: उत्तरी राज्यों में पिछले 16 वर्षों में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा बढ़ा है जिससे भारत दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में शुमार हो गया है और श्वास एवं हृदय संबंधी रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। देश के सभी राज्यों में वर्ष 1990 से 2016 तक बीमारियों के बोझ पर जारी पहली समग्र रिपोर्ट मे यह बात सामने आई है। 

इन राज्यों पर बढ़ा बीमारियों का बोझ
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज यहां यह रिपोर्ट जारी की जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया और इंस्टिच्यूट आफ हेल्थ मेट्रिक्स ऐंड इवैल्यूएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया है। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे उत्तरी राज्यों के वायुमंडल में प्रदूषण के कारण बीमारियों का बोझ सबसे ज्यादा बढ़ा है। इसकी चपेट में आने से असंचारी रोगों तथा हृदय संबंधी और सांस में संक्रमण जैसी संक्रामक बीमारियों का बोझ बढ़ गया है। इन 16 वर्षों में घरों के अंदर तो वायु प्रदूषण कम हुआ है लेकिन बाहरी वायुमंडल में इसका स्तर बढ़ा है । 
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वर्ष 2016 में कुल बीमारियों में घरों के अंदर के वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का प्रतिशत पांच था जबकि छह प्रतिशत बीमारियों के लिए बाहरी वायु प्रदूषण जिम्मेदार था। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से गरीबों के घरों में रसोईं गैस का इस्तेमाल बढऩे से घरों के अंदर वायु प्रदूषण कम हुआ है लेकिन बिजली ,परिवहन, वाहन, निर्माण, औद्योगिक क्षेत्रों और कचरा जलाने के कारण वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन बढ़ा है। देश की जनता के स्वास्थ्य में सुधार के लिए वायु प्रदूषण पर काबू पाना सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहेगा और इससे आने वाली पीढिय़ां प्रभावित होंगी। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदूषण पर नजर वाली निगरानी प्रणाली में सुधार तथा कम उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया।

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