Edited By ,Updated: 06 Apr, 2016 04:59 PM
आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) की विशेष अदालत ने मुंबई में दिसंबर 2002 और मार्च 2003 को हुए विस्फोटों के मामले में आज तीन दोषियों को....
मुंबई: आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) की विशेष अदालत ने मुंबई में दिसंबर 2002 और मार्च 2003 को हुए विस्फोटों के मामले में आज तीन दोषियों को आजीवन कारावास, चार अन्य दोषियों को 10 वर्ष के सश्रम कारावास और तीन दोषियों को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
पोटा न्यायाधीश पी आर देशमुख मुजालि अंसारी, फरहान खूट और डा. अब्दुल वाहिद को उम्रकैद, मामले के मुख्य आरोपियों में से एक एवं प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट््स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के सदस्य साकिब नचान, हसीब मुल्ला, आतिफ मुल्ला और गुलाम अकबर खोटल को 10 वर्ष के सश्रम कारावास तथा कामिल शेचा, नूर मोहमद एवं अनवर अली को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। सभी दोषियों को 30 हजार से एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी भरना होगा। पोटा अदालत ने मुलुंड, विले पार्ले और मुंबई सेंट्रल में हुए बम धमाकों के मामलों में उन्हें दोषी ठहराया है।
गौरतलब है कि मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर छह दिसंबर 2002 को एक रेस्तरां में हुए बम धमाके में कई लोग घायल हो गये थे। इसके बाद 27 जनवरी 2003 को विले पार्ले में एक साइकिल पर रखा एक बम फटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। तीसरा विस्फोट 13 मार्च 2003 को मुलुंड में हुआ था जिसमें 12 लोग मारे गए थे और 71 अन्य घायल हो गये थे।