‘जुनून व कड़ी मेहनत से मिलती है सफलता’ : बोनीफेस प्रभु

Edited By ,Updated: 12 Nov, 2016 01:24 PM

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हिम्मत, जनून और कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है न कि खुद को अक्षम मानकर बैठ जाने से। यह कहना है पद्मश्री सम्मान से सम्मानित बोनीफेस प्रभु का जिन्होंने शुक्रवार को प्रैस वार्ता के दौरान यह बात कही।

चंडीगढ़(लल्लन) : हिम्मत, जनून और कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है न कि खुद को अक्षम मानकर बैठ जाने से। यह कहना है पद्मश्री सम्मान से सम्मानित बोनीफेस प्रभु का जिन्होंने शुक्रवार को प्रैस वार्ता के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि वह 4 साल की आयु में ही दिव्यांग हो गए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। इस कारण ही व पैरा ओलिम्पिक में पदक जीत पाए। प्रभु थम्स-अप वीर कश्मीर से कन्याकुमारी तक सड़क यात्रा के माध्यम से दिव्यांग लोगों को जागरूक करने शुक्रवार को शहर पहुंचे थे। इस कड़ी में शुक्रवार को वह जागरूकता अभियोजन के तहत शहर के सैक्टर-31 स्थित दिव्यांग बच्चों के आर.आई.आई.डी. संस्थान पंहुचे। बोनीफेस ने संस्थान के बच्चों को संबोधित कर इस बात पर जोर दिया कि दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा कि हमें नजरिया बदले जाने के साथ सोच भी सकारात्मक रखनी चाहिए। 

 

डाक्टरों की लापरवाही से बना दिव्यांग :
बेनीफेस ने बताया कि डाक्टरों की लापरवाही के कारण वह महज 4 वर्ष की उम्र में वह दिव्यांग बन गए थे। तब उनके पिता ने उन्हें हौसला देते हुए समझाया था कि हर किसी में एक विशेषता होती है और उसका जन्म भी उसी मकसद के लिए होता है तुम भी उन्हीं में से एक हो। बोनीफेस ने बच्चों को आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया। वहीं, मीडिया से बातचीत में 44 वर्षीय बेनीफेस ने कहा कि वह अभियान के दौरान भी समांतर तौर पर अभ्यास कर रहे हैं, वह दिसम्बर के मध्य के बाद पूरी तरह से सक्रिय होकर जल्द टैनिस कोर्ट में वापसी करेंगे। वह ऑस्ट्रेलियन ओपन में हिस्सा लेंगे।

 

अन्य खिलाडिय़ों का मिल रहा समर्थन :
प्रभु ने कहा की उनकी मुहिम को अन्य खिलाडिय़ों का भी समर्थन मिला रहा है। उन्होंने टैनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और इंडियन क्रिकेट टीम के कोच अनिल कुंबले का खास तौर पर जिक्र किया। बोनीफेस के मुताबिक वह दिव्यांग खेलों के लिए प्लेटफोर्म तैयार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए देश के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से मुलाकात यादगार क्षणों में से एक रहा।

 

कोचिंग के बारे में नही विचार :
प्रभु के मुताबिक वह कोचिंग के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उनका पूरा फोक्स अभी खेल पर हैं। लेकिन उन्होंने कहा की उन्होंने दिव्यांग बच्चों व खिलाडिय़ों को तैयार करने के लिए कुछ कोच नियुक्त किए हैं। 


 

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