प्रणव करेंगे चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह में स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित

Edited By ,Updated: 16 Apr, 2017 05:06 PM

pranav will give freedom to fighters in satyagraha centenary celebrations

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर पटना जाएंगे जहां वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के अवसर...

नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर पटना जाएंगे जहां वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। बिहार सरकार ने देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिए इस समारोह का आयोजन किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे। पटना के श्रीकृष्णा हॉल में इस सिलसिले में सोमवार को आयोजित होने वाले समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में बिहार सरकार ने पूरे साल कई कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है।

गौरतलब है कि बिहार के चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों पर अंग्रेज सरकार के अत्याचाररों के खिलाफ सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए गांधी जी एक ट्रेन के तृतीय श्रेणी के डिब्बे में सवार होकर 10 अप्रैल 1917 को पटना रेलवे स्टेशन (तत्कालीन बांकीपुर स्टेशन) पर उतरे थे और 17 अप्रैल 1917 को किसानों के संघर्ष का नेतृत्व का आगाज किया था।

इस समय किसानों से 46 प्रकार के टैक्स वसूले जाते थे और वेे इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने की स्थिति में नहीं थे। लखनऊ में 1916 में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान बिहार के नेताओं ने गांधी जी को चंपारण की स्थिति का जायजा लेने और इसका समाधान निकालने का अनुरोध किया था। चंपारण पहुंचने पर स्थानीय प्रशासन ने गांधीजी पर शहर छोडऩे के लिए तरह-तरह के दबाव डाले लेकिन गांधीजी पीछे नहीं हटे और 17 अप्रैल को चंपारण सत्याग्रह शुरू किया।

इस आंदोलन ने आगे चलकर देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका अदा की और दुनिया में मानव अधिकारों के आंदोलन में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। गांधीजी ने चंपारण के 2900 गांव में किसानों की स्थिति की खुद समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों से बातचीत करके इसे बेहतर बनाने के लिए कार्रवाई की मांग की। तीन महीने के अंदर ही जुलाई 1917 में एक जांच समिति गठित कर दी गई और 10 अगस्त को तीन कट्टा सिस्टम खत्म कर दिया गया जबकि मार्च 1918 आते-आते चंपारण कृषक विधेयक पर गवर्नर जनरल के हस्ताक्षर के साथ ही अन्य काले कानून भी खत्म कर दिए गए। 

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