ऑफ द रिकॉर्डः सुप्रीम कोर्ट के घटनाक्रम पर राष्ट्रपति की करीबी नजर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 08:33 AM

president close look at the events of the supreme court

सुप्रीम कोर्ट के गंभीर संकट पर केन्द्र सरकार चुप्पी धारण किए हुए है। जहां कॉलेजियम के 4 जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया है लेकिन ऐसा तकनीकी कारणों से है क्योंकि किसी को यकीन नहीं कि इन चारों जजों का 8 महत्वपूर्ण...

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट के गंभीर संकट पर केन्द्र सरकार चुप्पी धारण किए हुए है। जहां कॉलेजियम के 4 जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया है लेकिन ऐसा तकनीकी कारणों से है क्योंकि किसी को यकीन नहीं कि इन चारों जजों का 8 महत्वपूर्ण मामलों के लिए गठित नई संवैधानिक पीठ का हिस्सा न होने की स्थिति में कैसे मेल-मिलाप होगा। वास्तव में सरकार के लिए यह दैवीय प्रदत्त अवसर है कि वह राष्ट्रीय न्यायिक जवाबदेही आयोग (एन.जे.ए.सी.) को फिर से सक्रिय बनाए जो लम्बे समय से ‘मृत’ है। सरकार महसूस करती है कि कॉलेजियम व्यवस्था ठप्प होकर रह गई है क्योंकि इसकी सहमति के बिना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज आने वाले महीनों में नियुक्त नहीं हो पाएंगे।

सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम न छापने पर कहा, ‘‘जजों की इस लड़ाई के कारण लोगों को काफी मुश्किलें सहन करनी होंगी और न्यायपालिका के कामकाज में लोगों का विश्वास भी टूटा है।’’ मंत्री ने कहा कि न्यायपालिका में जारी संकट के परिणामों का उचित ढंग से विश्लेषण नहीं किया जा रहा। अक्तूबर में अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर अगर कॉलेजियम विभाजित हुआ तो क्या होगा? जस्टिस चेलामेश्वर के जून में सेवानिवृत्त होने और जस्टिस अर्जुन सीकरी के कॉलेजियम का सदस्य बनने के बाद कॉलेजियम के गठन में बदलाव होगा। कोई भी यकीनी तौर पर यह नहीं कह सकता कि जस्टिस रंजन गोगोई अक्तूबर में अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे।

सूत्रों का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सुप्रीम कोर्ट की घटनाओं पर करीबी नजर रखे हुए हैं क्योंकि वह संविधान के ‘कस्टोडियन’ हैं। उनके पास संकट में हस्तक्षेप करने का अधिकार है। अगर वह चाहें तो जजों को तलब कर सकते हैं, यद्यपि जजों के खिलाफ उन्हें उनके पद से हटाने जैसी दंडनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती मगर मुख्य न्यायाधीश के पास दोषी जजों को ‘डी-रोस्टर’ करने का अधिकार है। उन्होंने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह उनके दबाव में झुकेंगे नहीं और उन्हें संवैधानिक बैंच से बाहर कर दिया गया है।

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