20 जुलाई को देश को मिलेगा नया 'राष्ट्रपति', जानिए कैसे होता है चुनाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jun, 2017 07:40 PM

presidential election to be held on july 17

चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा कि आगामी 20 जुलाई तक इस पद के लिए निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा कि आगामी 20 जुलाई तक इस पद के लिए निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उप-राष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल इस वर्ष 24 जुलाई को खत्म होने से पहले 20 जुलाई तक इस पद के लिए समस्त निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

चुनाव आयुक्त ए.के. ज्योति और ओ.पी. रावत की मौजूदगी में जैदी ने बताया कि राष्ट्रपति पद के निर्वाचन की अधिसूचना आगामी 14 जून को जारी की जाएगी, 17 जुलाई को मतदान होगा। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव देश के सांसद और विधायक करते हैं। इसमें प्रत्येक राज्य के सांसद और विधायक के वोट की वैल्यू 1971 की जनगणना के मुताबिक राज्य की जनसंख्या से आंकी जाती है जिससे प्रत्येक राज्य के सांसद और विधायक के वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है।

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जनता नहीं चुन सकती राष्ट्रपति
साल 1848 में, लुई नेपोलियन को लोगों के सीधी मत से राज्य के प्रमुख के रूप में चुना गया था, लुई नेपोलियन ने फ्रेंच गणराज्य को उखाड़ फेंका और दावा किया कि उनको जनता ने सीधा चुना है, तो वो ही फ्रांस के राजा है। इस घटना को ध्यान में रखते हुए, भारत के राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।

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इलेक्टोरल कॉलेज से होता है मतदान
भारत के राष्ट्रपति निर्वाचन कॉलेज द्वारा चुने जाते हैं। संविधान के आर्टिकल 54 में इसका उल्लेख है इसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। दो केंद्रशासित प्रदेशों, दिल्ली और पुद्दुचेरी के विधायक भी चुनाव में हिस्सा लेते हैं जिनकी अपनी विधानसभाएं हैं। चुनाव जिस विधि से होता है उसका नाम है– आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा सभी सांसदों और विधायकों के पास निश्चित संख्या में मत हैं, हालांकि, हर निर्वाचित विधायक और सांसद के वोटों के मूल्य की लंबी गणना होती हैं।

कुल वोट- 1098882
जीत के लिए चाहिएं- 549442

एनडीए = 5,37,614
(बीजेपी, शिवसेना, टीडीपी, अकाली दल, एलजेपी, पीडीपी, आरएलएसपी, बीपीएफ, एनपीएफ, एजीपी और दस अन्य दल शामिल)

विपक्ष = 4,02,230
(कांग्रेस, तृणमूल, समाजवादी पार्टी, सीपीआईएम, बीएसपी, जेडीयू, आरजेडी और 14 अन्य दल)

अनिर्णित = 1,590,38
(एआईडीएमके, बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआरसीपी, आप, आईएनएलडी)

संभावित स्थिति
5,96,838 वोट

ऐसे होती है मतों की गणना
विधायक के वोट की गणना

राज्य की कुल जनसंख्या 1971 की जनगणना के मुताबिक /1000 * राज्य में कुल विधायकों की संख्या।
उदाहरण : दिल्ली के एक विधायक के वोट की वैल्यू
4065698/1000 * 70 = 58

सांसद के वोट की गणना
संसद में कुल सदस्य = 776
लोकसभा= 543  
राज्यसभा= 233

सभी राज्यों के विधायकों के मतों की कुल वैल्यू * प्रत्येक विधायक की वैल्यू (549474/ 776 =708)
-सभी राज्यों के कुल वोटों की वैल्यू (सभी राज्यों के विधायकों की संख्या में एक विधायक के वोट की वैल्यू से गुना करके निकालेंगे)

776 सांसदों के वोट की कुल वैल्यू
राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे कुल= 4896 सदस्य
विधायक- 4120
सांसद- 776

कुल मतदाता- 4896
सदस्यों के वोटों की कुल वैल्यू  (2012 में)
1098882
549474-विधायक
549408-सांसद

सूत्रों के मुताबिक इस बार राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या में बदलाव हो सकता है। दरअसल आंध्रप्रदेश से अलग हुए राज्य तेलंगाना के मतों की गणना चुनाव आयोग अलग से कर सकता है। इससे 2012 की तुलना में करीब 500 वोट बढ़ सकते हैं।

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