बजट सत्र में पेश होगा नेट न्यूट्रैलिटी पर प्राइवेट बिल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jan, 2018 11:13 PM

private bill will be introduced for internet availability in budget session

राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के टीएस तुलसी नेट न्यूट्रैलिटी को मौलिक अधिकार घोषित कराने के लिए बजट सत्र में प्राइवेट बिल पेश करेंगे। तुलसी ने कहा, राज्यसभा में भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था लेकिन सरकार ने कोई आश्वासन नहीं दिया

नई दिल्लीः राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के टीएस तुलसी नेट न्यूट्रैलिटी को मौलिक अधिकार घोषित कराने के लिए बजट सत्र में प्राइवेट बिल पेश करेंगे। तुलसी ने कहा, राज्यसभा में भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था लेकिन सरकार ने कोई आश्वासन नहीं दिया।

प्राकृतिक संसाधन है, समान बंटवारा होना चाहिए
उन्होंने कहा, न तो दूरसंचार मंत्री और न ही भारत सरकार के किसी अन्य मंत्री ने मुझे इस बाबत आश्वासन दिया, लिहाजा मैं बजट सत्र में निजी विधेयक पेश करूंगा।’’ नेट न्यूट्रैलिटी को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की वजह पूछे जाने पर ख्यात कानूनिवद तुलसी का कहना था कि इंटरनेट एक प्राकृतिक संसाधन है और प्राकृतिक संसाधन का एकसमान बंटवारा नहीं होता है तो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का कोई मतलब नहीं है। 

यूएन ने भी अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा माना
तुलसी ने कहा, दुनिया के कई देशों ने नेट न्यूट्रैलिटी को मौलिक अधिकार घोषित किया है। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र ने भी एक प्रस्ताव पारित कर इंटरनेट तक पहुंच को भाषण एवं अभिव्यक्ति की आजादी का अहम हिस्सा माना है। भारत ने इस दस्तावेज पर दस्तखत भी किए हैं। लेकिन, ‘‘भारत में इसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा।’’ तुलसी के अलावा जनता दल यू के हरिवंश और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने नेट न्यूट्रैलिटी को मौलिक अधिकार बनाने का मुद्दा राज्यसभा में उठाया था।

डिजिटल इंडिया के लिए नेट न्यूट्रैलिटी अनिवार्य शर्त
हरिवंश ने कहा कि, सरकार डिजिटल इंडिया, कैशलेस इ्कॉनमी, नॉलेज सोसायटी और ग्लोबल विलेज की बातें करती है। लिहाजा, इन उद्देश्यों को पाने के लिए नेट न्यूट्रैलिटी एक अनिवार्य शर्त है। हरिवंश ने कहा कि भारत के संविधान में शामिल मौलिक कर्तव्यों में नागरिकों को वैज्ञानिक चेतना के विकास के लिए सजग रहने को कहा गया है। इसलिए इंटरनेट एक अहम जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि देर-सवेर सरकार को भी इसकी जरूरत महसूस होगी।’’ 

यह है नेट न्यूट्रैलिटी 
नेट न्यूट्रैलिटी को हम एेसी व्यवस्था के रूप में परिभाषित कर सकते है, जिसमें सबको नेट की बराबर सुविधा मिलेगी। इंटरनेट मुहैया कराने वाली कंपनी इसमें न किसी वेबसाइट या प्रॉडक्ट्स पर प्रतिबंध लगा सकती है और ना ही सपोर्ट कर सकती है। वर्तमान में यह मुद्दा देश ही नहीं दुनियाभर की सरकारों के बीच चर्चा का विषय है।  

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