कभी कड़क छवि तो कभी ‘‘शिवभक्त’’ सुर्खियों बटोरने में माहिर हैं राहुल गांधी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 02:31 PM

rahul gandhi specializes in gathering news headlines

मनमोहन सिंह नीत संप्रग सरकार के शासनकाल में वर्ष 2013 में दागियों के चुनाव लड़ने से संबंधित एक सरकारी आदेश को सरेआम फाड़कर अपनी युवा जुझारू नेता की छवि पेश करने वाले और 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान अपनी ‘‘शिवभक्त’’ एवं ‘‘जनेऊधारी’’ की छवि को आगे...

नई दिल्लीः मनमोहन सिंह नीत संप्रग सरकार के शासनकाल में वर्ष 2013 में दागियों के चुनाव लड़ने से संबंधित एक सरकारी आदेश को सरेआम फाड़कर अपनी युवा जुझारू नेता की छवि पेश करने वाले और 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान अपनी ‘‘शिवभक्त’’ एवं ‘‘जनेऊधारी’’ की छवि को आगे करने वाले राहुल गांधी का अब तक का राजनीतिक जीवन सुर्खियों से भरपूर रहा है। राहुल को जब 2013 में पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था तो उन्होंने जयपुर में भाषण में अपनी मां एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इस बात को बड़े भावनात्मक ढंग से कहा था कि ‘‘सत्ता जहर पीने के समान’’ है। हालांकि इसके ठीक पांच साल बाद अब उन्हें यह विषपान करना पड़ेगा क्योंकि अब उनका कांग्रेस अध्यक्ष बनना महज एक औपचारिकता रह गया है।
PunjabKesari
राहुल पांचवीं पीढ़ी के नेता
नेहरू-गांधी परिवार में कांग्रेस की कमान संभालने वाले राहुल पांचवीं पीढ़ी के नेता होने जा रहे हैं। यह सिलसिला आजादी से पहले मोतीलाल नेहरू से शुरू हुआ था। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में वह एकमात्र वैध प्रत्याशी हैं। पार्टी संविधान के अनुसार 11 दिसंबर को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद उनके अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने की औपचारिक घोषणा की जाएगी। सोनिया के 19 साल के अध्यक्ष पर आसीन रहने के बाद देश की इस सबसे पुरानी पार्टी की कमान संभालना राहुल के लिए किसी भारी चुनौती से कम साबित नहीं होगा। विपक्षी नेता पिछले कुछ सालों से उन्हें ‘‘शहजादा’’ एवं ‘‘पप्पू’’ कहकर उनके महत्व को कमतर करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं।
PunjabKesari
1984 में दिखी थी राहुल की पहली झलक
राहुल गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी की 1984 में हत्या के बाद उनके अंतिम संस्कार के समय राष्ट्रीय टेलीविजन और अखबार की तस्वीरों में अपने पिता राजीव गांधी के साथ प्रमुखता से दिखाई दिए थे। उसके बाद उनके पिता राजीव गांधी की 1991 में हत्या के बाद उनके अंतिम संस्कार में राहुल गांधी देश के विभिन्न लोगों की सहानुभूति के केन्द्र में रहे।
PunjabKesari
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की एम.फिल
राहुल का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था। उनकी शिक्षा पहले घर और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज से हुई। उन्होंने हार्वर्ड तथा फ्लोरिडा में रॉलिंस कॉलेज से कला में स्नातक किया। उन्हें केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनटी कालेज से डेवलमेंट स्टडीज में एम.फिल की उपाधि मिली। उन्होंने इसके बाद लंदन के सामरिक सलाहकार समूह मानीटर ग्रुप के साथ काम करना शुरू किया और वहां वह तीन साल तक रहे। राहुल राजीव गांधी फाउंडेशन के न्यासी रहे। वह जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़े रहे। 

PunjabKesari

राजनीतिक सफर
राहुल का राजनीतिक करियर 2004 में अमेठी लोकसभा सांसद निर्वाचित होने के साथ शुरू हुआ। उन्होंने इसी सीट से 2009 एवं 2014 का भी चुनाव जीता। वर्ष 2004 में केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनने के बाद अगले दस साल तक राहुल गांधी बीच बीच में राजनीतिक सुर्खियों में आने के साथ साथ अचानक गायब भी होते रहे। हालांकि उन्होंने सबसे अधिक अवकाश 2015 में लिया जब वह 56 दिनों तक अज्ञात स्थल पर रहे।

PunjabKesari

इन मुद्दों को लेकर बटोरी चर्चा
राहुल गांधी ने जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे भट्टा पारसौल के किसानों के पास जाकर, संसद में विदर्भ की गरीब दलित महिला कलावती का मुद्दा उठाकर, उत्तर प्रदेश में एक दलित परिवार के घर जाकर रात बिताने से लेकर हाल में मध्य प्रदेश के मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा गोली चलाने के बाद पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए मोटरसाइकिल से पहुंचने तक काफी सुर्खियां बंटोरी।

PunjabKesari

सबके सामने फाड़ दिया था अध्यादेश
उनसे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण घटना 2013 में घटी जब उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार द्वारा दागियों के चुनाव लडऩे के संबंध में लाए गए एक अध्यादेश को सार्वजनिक तौर पर फाड़कर विपक्षी ही नहीं अपनी ही पार्टी के नेताओं को चौंका दिया। 

PunjabKesari

खुद को बताया शिव भक्त
गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान राहुल द्वारा बार-बार मंदिर में जाने और अपने को ‘‘शिवभक्त’’ बताने से निश्चित तौर पर भाजपा नेताओं के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी हुई हैं। सोमनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाने के दौरान राहुल के कथित रूप से ‘अहिंदू’ होने के विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया कि वह ‘‘अनन्य शिवभक्त’’ और ‘‘जनेऊधारी’’ हैं। पार्टी ने सोशल मीडिया पर उनकी जनेऊ पहने कई तस्वीरें भी पोस्ट की।
PunjabKesari
कांग्रेस के हाथों गई सत्ता
राहुल के 2013 में पार्टी उपाध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस ने आम चुनाव ही नहीं एक के बाद एक राज्यों में पराजय का सामना किया। पार्टी की अभी केवल पंजाब, पुडुचेरी, मेघालय, कर्नाटक एवं हिमाचल प्रदेश में ही सरकार है। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा नेता अखिलेश यादव से हाथ मिलाकर चुनाव लड़ा किन्तु पार्टी का बहुत निराशाजनक परिणाम रहा। उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे मंझे हुए नेता एवं कुशल वक्ता से मुकाबले के लिए अपनी रणनीति में काफी बदलाव किए हैं।

PunjabKesari

मजेदार ट्वीट कर आए चर्चा में
राहुल जहां ‘‘गब्बर सिंह टैक्स’’ जैसे जुमले बोलने शुरू कर दिए हैं वहीं ट्विटर के माध्यम से उन्होंने भाजपा सरकार पर आक्रमण तेज कर दिया है। राहुल के ट्विटर पर 47.1 लाख फालोअर हैं। राहुल ने आम लोगों से जुडऩे के क्रम में पिछले दिनों ट्विटर पर अपने पालतू कुत्ते ‘‘पिडी’’ का भी वीडियो डाला था। हालांकि इसे लेकर सोशल मीडिया पर उन पर काफी टीका टिप्पणी की गई।
PunjabKesari
शादी के सवाल पर राहुल का जवाब
47 वर्षीय अविवाहित राहुल गांधी अपने विवाह के प्रश्नों को यह कहकर टालते रहे हैं, वह ‘‘किस्मत में विश्वास रखते हैं और यह जब होना होगा, तब होगा।’’ हाल में उन्होंने एक कार्यक्रम में यह खुलासा किया कि वह जापनी मार्शल आर्ट अकीडो में ब्लैक बेल्ट हैं। उन्होंने कुछ समय पहले अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में ‘‘वंशवाद’’ के पक्ष में कई तर्क रखे थे।  आमतौर पर राहुल गांधी के बारे में यह माना जाता है कि वह कांग्रेस में युवा नेताओं के साथ काफी सहज रहते हैं। किंतु राहुल ने इस भ्रम को भी यह कहकर दूर करने का प्रयास किया कि वह पार्टी के अनुभवों को नहीं नकारेंगे और सभी को साथ लेकर चलेंगे। राहुल ने अध्यक्ष पद का नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लिया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘‘कांग्रेस का लाडला (डार्लिंग)’’ करार दिया। उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के अवसर पर कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी से लेकर युवा पीढ़ी के सभी चेहरों ने उपस्थित होकर यह संदेश देने का प्रयास किया कि पार्टी के सभी वर्ग राहुल गांधी के साथ है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार गुजरात चुनाव राहुल के लिए एक कड़ी परीक्षा साबित होगा। यदि इस चुनाव में पार्टी कुछ बेहतर कर पाती है तो निश्चित तौर पर पार्टी के भीतर और बाहर उनकी विश्वसनीयता में इजाफा होगा। अगला साल भी राहुल के लिए कड़ी चुनौतियां पेश करेगा क्योंकि उन्हें कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान विधानसभा चुनावों में अपने नेतृत्व में पार्टी के प्रदर्शन को बेहतर बनाना है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!