लक्ष्य पूरे नहीं कर पा रहा रेलवे, कैसे रुकेंगे हादसे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 09:51 PM

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एक तरफ नरेंद्र मोदी बुलेट ट्रेन चलाने का ऐलान कर देश भर में वाहवाही लूट रहे हैं तो दूसरी तरफ पीआइबी द्वारा जारी आंकड़ों ने रेलवे मंत्रालय की यात्री सुरक्षा पर गंभीरता को सरेआम कर दिया है। रेल मंत्रालय जारी किए गए इन आंकड़ों से मोदी सरकार काफी परेशान...

नेशनल डेस्कः एक तरफ नरेंद्र मोदी बुलेट ट्रेन चलाने का ऐलान कर देश भर में वाहवाही लूट रहे हैं तो दूसरी तरफ पीआइबी द्वारा जारी आंकड़ों ने रेलवे मंत्रालय की यात्री सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ कर दिया है। रेल मंत्रालय जारी किए गए इन आंकड़ों से मोदी सरकार की चिंता वाजिब है। यह आंकड़े रेलवे ट्रैक मरम्मत से जुड़ा है जिसका लक्ष्य सरकार द्वारा पूरा नहीं कराया जा सका। हालांकि यह आंकड़ा 31 जनवरी 2018 तक का है और सरकार का दावा है कि मार्च 2018 तक काम पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि अगर बीते सालों का औसत देखा जाए तो कुछ रेलवे के कुछ जोन अपना लक्ष्य प्राप्त करने में पीछे हैं। ऐसे में रेलवे दुर्घटनाओं का होना लाजिमी हो जाता है। ताजा उदाहरण बिहार में देखने को मिला। जहां टूटी पटरी के कारण राजधानी एक्सप्रेस हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गई। लेकिन इससे पहले कई ट्रेन हादसे हो चुके हैं जिसमें कई परिवारों ने अपनों को खो दिया है। रेलवे मंत्रालय द्वारा जारी इन आंकड़ों से सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि रेल हादसों कैसे रुकेंगे।
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लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहा रेलवे
2014 में रेलवे की जिम्मेदारी सुरेश प्रभु को सौंप गई और उनके नेतृत्व में रेलवे अपने ट्रैक की मरम्मत का लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी। लिहाजा मोदी राज में ट्रेन हादसे उनकी सरकार के लिए चिंता का विष्य बनती रही। 3 सितंबर, 2017 को रेलवे की जिम्मेदारी पीएम मोदी के सबसे जिम्मेदारी मंत्रियों में से एक पीयूष गोयल को दे दी गई। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात साबित हुआ। ना हादसे रुके, ना ही सुरक्षा दुरुस्त करने की कोई पहल ही होती दिखी। 2017-18 (31 जनवरी 2018) तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो रेलवे ट्रैक मरम्मत का काम लक्ष्य के करीब भी नहीं नजर आ रहा है।
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कैसे होती है रेलवे ट्रैक की मरम्मत
- रेलवे ट्रैक की मरम्मत की प्रक्रिया पटरी के नवीनीकरण के माध्यम से की जाती है। 
- पटरियों के पुरने पड़ जाने या खराब हो जाने पर ट्रेक की मरम्मत की जाती है।
- अगर किसी कारण ट्रेक की मरम्मत में देरी हो तो ऐसे में ट्रेन की स्पीड लिमीट निर्धारित कर दी जाती है।
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मोदी राज में हुए बड़े रेल हादसे
1. पुखरायां रेल हादसा
20 नवंबर 2016 को उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हुआ। इसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

2. भदोही में ट्रेन हादसा
25 जुलाई 2016 को भदोही इलाके में मडुआडीह-इलाहाबाद पैसेंजर ट्रेन मिनी स्कूल वैन टकरा गई, जिसमें 7 स्कूली बच्चों की मौत हो गई है। इस वैन में 19 बच्चे सवार थे।

3. जनता एक्सप्रेस ट्रेन हादसा
20 मार्च 2015 को देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 34 लोग मारे गए थे। यह हादसा रायबरेली के बछरावां रेलवे स्टेशन के पास हुई हुआ था।

4. मूरी एक्सप्रेस हादसा
25 मई 2015 को कौशांबी के सिराथू रेलवे स्टेशन के पास मूरी एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। हादसे में 25 यात्री मारे गए थे, जबकि 300 से ज्यादा घायल हुए थे।

5. पटरी से उतरी 2 ट्रेनें
5 अगस्त 2015 में मध्य प्रदेश के हरदा के करीब एक ही जगह पर 10 मिनट के अंदर दो ट्रेन हादसे हुए। इटारसी-मुंबई रेलवे ट्रैक पर दो ट्रेनें मुंबई-वाराणसी कामायनी एक्सप्रेस और पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गईं। माचक नदी पर रेल पटरी धंसने की वजह से हरदा में यह हादसा हुआ। बता दें कि माचक नदी उफान पर थी। दुर्घटना में 31 मौतें हुईं।

6. गोरखधाम एक्सप्रेस टक्कर
26 मई, 2014 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में चुरेन रेलवे स्टेशन के पास गोरखधाम एक्सप्रेस ने एक मालगाड़ी को उसी ट्रैक पर टक्कर मार दी। इस हादसे में 22 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

7. पटरी से उतरे 6 डिब्बे
मई 2014 में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कोंकण रेलवे रूट पर एक यात्री सवारी गाड़ी का इंजन और 6 डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में कम से कम 20 लोगों की मौत हुई जबकि 124 लोग घायल हुए।

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