Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 11:03 AM
परंपरानुसार किसी शव का अंतिम संस्कार करने की इजाजत महिलाओं को नहीं है, बावजूद इसके रेलवे पुलिस की एक महिला कांस्टेबल नयना दिवेकर लावारिस लाशों की ‘मसीहा’ बनकर उभरी हैं। जिन लावारिस लाशों का दावा करने कोई नहीं आता नयना उनका अंतिम संसकार कर देती है।...
मुंबई: परंपरानुसार किसी शव का अंतिम संस्कार करने की इजाजत महिलाओं को नहीं है, बावजूद इसके रेलवे पुलिस की एक महिला कांस्टेबल नयना दिवेकर लावारिस लाशों की ‘मसीहा’ बनकर उभरी हैं। जिन लावारिस लाशों का दावा करने कोई नहीं आता नयना उनका अंतिम संसकार कर देती है। नयना दिवेकर दादर स्टेशन पर कार्यरत हैं। वह 2011 से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रही है।
500 से अधिक लावारिस लाशों का करा चुकी है अंतिम संस्कार
नयना का कहना है कि वह अब तक 500 से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार मृतक के धर्म के आधार पर कर चुकी हैं। शुरू-शुरू में रेलवे के अधिकारियों को भी संदेह था कि वह इस काम को नहीं कर पाएंगी, लेकिन नयना को इस काम को करने में कभी भी कोई झिझक नहीं हुई। वह उन महिलाओं के लिए मिसाल बनी हैं जो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज में नेकी का काम बड़ी ही सहजता से कर रही हैं।