वसुंधरा राजे का बहिष्कार करेगा ‘राजस्थान पत्रिका’ समाचार पत्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Nov, 2017 01:17 PM

rajasthan magazine boycott to vasundhara raje

भ्रष्ट अधिकारियों और सियासतदानों को संरक्षण देने वाले राजस्थान सरकार के विधेयक के विरोध में प्रदेश के अग्रणी हिंदी समाचार पत्र ‘राजस्थान पत्रिका’ ने सरकार के तमाम कार्यक्रमों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। अखबार ने बाकायदा फ्रंट पेज पर एक संपादकीय...

नई दिल्ली: भ्रष्ट अधिकारियों और सियासतदानों को संरक्षण देने वाले राजस्थान सरकार के  विधेयक के विरोध में प्रदेश के अग्रणी हिंदी समाचार पत्र ‘राजस्थान पत्रिका’ ने सरकार के तमाम कार्यक्रमों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। अखबार ने बाकायदा फ्रंट पेज पर एक संपादकीय लिख कर इस बहिष्कार की घोषणा की। अखबार के मुख्य संपादक गुलाब कोठारी द्वारा ‘जब तक काला, तब तक ताला’ के शीर्षक के तहत लिखे गए संपादकीय में कहा गया है कि हिटलरशाही को लोकतंत्र पर हावी नहीं होने दिया जा सकता। अखबार ने लिखा कि कानून भी काला, पास भी नियमों व परंपराओं की अवहेलना करते हुए किया गया और जनता को जताया ऐसे मानो कानून सदा के लिए ठंडे बस्ते में आ गया। ऐसा हुआ नहीं, नींद की गोलियां बस दे रखी हैं। जागते ही दुलत्ती झाडऩे लगेगा और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हत्या हो जाएगी।

कानून क्या रास्ता लेगा, यह समय के गर्भ में है। जब एक राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को जेब में रखकर अपने भ्रष्ट सपूतों की रक्षा के लिए कानून बनाती है तब चर्चा कानून की पहले होनी चाहिए अथवा अवमानना की जब तक तारीखें पड़ती रहेंगी, अध्यादेश तो कंठ पकड़ेगा ही। क्या उपाय है इस बला से पिंड छुड़ाने का। राजस्थान पत्रिका राजस्थान का समाचार पत्र है। सरकार ने हमारे मुंह पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्या जनता मन मारकर इस काले कानून को पी जाएगी। क्या हिटलरशाही को लोकतंत्र पर हावी हो जाने दें। अभी चुनाव दूर हैं, पूरा एक साल है, लंबी अवधि है, बहुत कुछ नुक्सान हो सकता है।
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राजस्थान पत्रिका ऐसा बीज है जिसके फल जनता को समर्पित हैं। अत: हमारे संपादकीय मंडल की सलाह को स्वीकार करते हुए निदेशक मंडल ने यह निर्णय लिया है कि जब तक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस काले कानून को वापस नहीं लेतीं तब तक राजस्थान पत्रिका उनके एवं उनसे संबंधित समाचारों का प्रकाशन नहीं करेगा। यह लोकतंत्र की, अभिव्यक्ति की, जनता के मत की आन-बान-शान का प्रश्न है। इससे पहले 22 अक्तूबर को भी अखबार ने पहले पन्ने पर ‘जनता उखाड़ फैंकेगी’ के शीर्षक के तहत संपादकीय लिखकर कानून का विरोध किया था।

अखबार ने लिखा था कि सरकार यह मंशा स्पष्ट कर रही है कि उसे आज भी लोकतंत्र में कतई विश्वास नहीं है। उसे तो सामंती युग की पूर्ण स्वच्छन्दता ही चाहिए। दुर्योधन का राज्यकाल चाहिए। भ्रष्ट कार्यप्रणाली की वर्तमान छूट भी चाहिए और भावी सरकारों से सुरक्षा की गारंटी भी चाहिए। क्या बात है! याद करिए जब मुख्यमंत्री ने विधानसभा में ही कहा था कि हम हौसलों की उड़ान भरते हैं। क्या हौसला दिखाया है। सरकार और सभी 200 विधायक अगले विधानसभा चुनाव की देहरी पर खड़े हैं।

राजस्थान की जनता का पिछले 4 साल का काल काले भ्रष्टाचार की खेती को पनपते देखते गुजरा है। आम आदमी एक ओर नोटबंदी व जी.एस.टी. से त्रस्त है, दूसरी ओर राज्य की खोटी नीयत की मार पड़ रही है। ऐसे में यह संशोधन यदि पास हो जाता है तो निश्चित है कि जनता अगले चुनाव में सरकार को दोनों हाथों से उखाड़ फैंकेगी। भले ही सामने विपक्ष कमजोर हो। लोकतंत्र स्वयं मार्ग निकाल लेगा। अपराध, भ्रष्टाचार, अराजकता को प्रतिष्ठित करने के लिए भाजपा को नहीं चुना था।

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