इंदिरा गांधी के नहीं इनके कहने पर राजनीति में आए थे राजीव गांधी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 04:18 PM

rajiv gandhi did not regard politics as good

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की 1980 में प्लेन क्रैश में मौत हो जाने के बाद राजीव गांधी को राजनीति में लाने की मांग उठी। खुद इंदिरा गांधी चाहती थी कि उनका बड़ा बेटा अब पार्टी की कमान संभालें लेकिन राजीव गांधी की राजनीति...

नई दिल्लीः तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की 1980 में प्लेन क्रैश में मौत हो जाने के बाद राजीव गांधी को राजनीति में लाने की मांग उठी। खुद इंदिरा गांधी चाहती थी कि उनका बड़ा बेटा अब पार्टी की कमान संभालें लेकिन राजीव गांधी की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। राजीव राजनीति को अच्छा नहीं मानते थे। इंदिरा गांधी ने राजीव को काफी समझाया लेकिन वे नहीं मानें। इसके इंदिरा ने राजीव को मनाने की जिम्मेदारी धर्मगुरु ओशो के सेक्रेटरी लक्ष्मी को सौंपी। इस बात का दावा राशिद मैक्सवेल की किताब द ओनली लाइफ, ओशो लक्ष्मी एंड द व‌र्ल्ड इन क्राइसिस में किया गया है। किताब में ओशो की सचिव को लेकर तमाम पहलुओं के बारे में लिखा गया जिनमें से एक राजीव गांधी के ऊपर भी है।
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धार्मिक कार्यों में था इंदिरा का झुकाव
किताब में दावा किया गया कि अपने पिता जवाहर लाल नेहरू की तरह से इंदिरा का भी धार्मिक कार्यों की तरफ काफी झुकाव था। वे कई धर्म गुरुओं से व्यक्तिगत तौर पर संपर्क में भी थीं जिनमें से एक ओशो भी थे। इंदिरा ओशो का काफी सम्मान करती थी लेकिन वे अक्सर उनसे मिलने से बचती थी क्योंकि उस समय वे काफी विवादित शख्सियत थे।
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लक्ष्मी को मिला ग्रीन पास
1977 में भी इमरजेंसी के बाद जब सत्ता चली तो इंदिरा को विपक्ष में बैठना पड़ा। उस दौरान उन्होंने लक्ष्मी को अपने खास लोगों में शुमार किया। लक्ष्मी को ग्रीन पास दिया गया था। ग्रीन पास का मतलब था कि लक्ष्मी कभी भी किसी समय इंदिरा से मुलाकात कर सकती हैं।

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राजीव-लक्ष्मी के बीच चली लंबी मुलाकात
1980 में इंदिरा जब दोबारा प्रधानमंत्री बनीं तो कुछ ही समय बाद उनके छोटे बेटे संजय की मौत हो गई। इसके बाद इंदिरा ने राजीव को सत्ता संभालने के लिए कहा लेकिन जब वे नहीं मानें तो लक्ष्मी को बुलाया गया ताकि वे राजीव को मना सकें। लक्ष्मी की राजीव के साथ काफी लंबी मुलाकात चली। राजीब तब पायलट थे और इस करियर को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन काफी लंबी चर्चा के बाद आखिर वे मान गए और उन्होंने राजनीति में आकर एक नए युग का आगाज किया। इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव देश के प्रधानमंत्री भी बने।

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