Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 08:20 AM
केंद्र पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को संवैधानिक दायरे के तहत बर्खास्त करने का खासा दबाव था। दिल्ली में हुए थप्पड़ कांड के चलते आई.एस.एस. एसोसिएशन ने राजनाथ पर भारी दबाव बनाया कि वह ‘आप’ सरकार के खिलाफ सख्त एक्शन लें।
नेशनल डेस्कः केंद्र पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को संवैधानिक दायरे के तहत बर्खास्त करने का खासा दबाव था। दिल्ली में हुए थप्पड़ कांड के चलते आई.एस.एस. एसोसिएशन ने राजनाथ पर भारी दबाव बनाया कि वह ‘आप’ सरकार के खिलाफ सख्त एक्शन लें। यही नहीं, दिल्ली के भाजपा पदाधिकारी भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सांसदों संग राजनाथ और जेतली से मुलाकात की थी और तुरंत कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंंने तर्क दिया कि सरकार की कार्यप्रणाली पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है क्योंकि अधिकारियों ने मुख्य सचिव की पिटाई और उनसे हुए दुर्व्यवहार के विरोध में मुख्यमंत्री और उसके साथी मंत्रियों का बहिष्कार किया है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने अपने विधायकों को मुख्य सचिव को पीटने के लिए उकसाया और खुद तमाशा देखते रहे। उदित राज, मीनाक्षी लेखी, महेश गिरि और रमेश बीदुडी ने भी केजरीवाल सरकार को डिसमिस करने का समर्थन किया। इसके बाद राजनाथ ने उपराज्यपाल को तलब किया और मामले को जेतली से डिस्कस करने को कहा। इसके बाद इस मुद्दे पर अमित शाह से भी बात हुई। भाजपा थिंक टैंक का मानना है कि इस मसले पर 2 बार चुनी हुई सरकार को गिराने से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ मिलने वाला नहीं है जबकि भाजपा सांसद चाहते थे कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो और लोकसभा चुनावों के साथ यहां भी चुनाव हों।