रास में उठी मांग: पहल की जाए कि बलात्कार पीड़ित गर्भवती न होने पाए

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2017 01:18 PM

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राज्यसभा में आज कांग्रेस की एक सदस्य ने मांग की कि बलात्कार के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद दो से तीन माह तक इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कहीं पीड़ित गर्भवती तो नहीं हो गई है।

नई दिल्ली: राज्यसभा में आज कांग्रेस की एक सदस्य ने मांग की कि बलात्कार के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद दो से तीन माह तक इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कहीं पीड़ित गर्भवती तो नहीं हो गई है। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर ने आज शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि बलात्कार कभी न भरने वाला घाव होता है और अगर पीड़ित गर्भवती हो जाती है तो उसके लिए स्थिति बहुत ही ज्यादा बुरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि बलात्कार की शारीरिक और मानसिक पीड़ा, सामाजिक रूप से अपमानजनक स्थिति तथा अपने परिवार की आत्मग्लानि को बर्दाश्त करने के बाद जब पीड़िता को पता चलता है कि वह गर्भवती है तो वह अनचाहे बच्चे को दुनिया में लाना नहीं चाहती। लेकिन कई मामलों मंे बहुत देर हो चुकी होती है। 

विप्लव ने बताया कि पिछले दिनों एेसे ही एक मामले में एक लड़की ने अपने बच्चे को जन्म के बाद फेंक दिया। एक मामले में पीड़ित को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। ‘‘जिस लड़की ने दुनिया भी पूरी तरह न देखी हो, वह बलात्कार जैसे घृणित कृत्य की शिकार हो और फिर उसे पता चले कि वह मां बनने वाली है, इससे बड़ी यातना उसके लिए और क्या होगी।’’ उन्होंने कहा कि किसी भी पीड़ित के लिए इससे भयावह स्थिति और कोई नहीं हो सकती। इस यातना से किसी भी पीड़ित को न गुजरना पड़े, इसके लिए गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को कोई व्यवस्था या कोई कानून बनाना चाहिए। साथ ही बलात्कार के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद दो से तीन माह तक इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कहीं पीड़ित गर्भवती तो नहीं हो गई है।  उच्च सदन में मौजूद विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। 

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