इच्छा मृत्यु के लिए  इस बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 12:14 PM

ram nath kovind  narayan lava  irawati

शहर के एक वयोवृद्ध दंपति ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को चिट्टी लिखकर ‘एक्टिव यूथेन्सिया’ (इच्छामृत्यु) की इजाजत मांगी है क्योंकि उन्हें लगता है कि समाज के लिए या खुद अपने लिए उनकी कोई उपयोगिता नहीं रही है।   नारायण लावते (88) और उनकी पत्नी इरावती...

मुंबई: शहर के एक वयोवृद्ध दंपति ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को चिट्टी लिखकर ‘एक्टिव यूथेन्सिया’ (इच्छामृत्यु) की इजाजत मांगी है क्योंकि उन्हें लगता है कि समाज के लिए या खुद अपने लिए उनकी कोई उपयोगिता नहीं रही है।   नारायण लावते (88) और उनकी पत्नी इरावती (78) बेऔलाद हैं। उनका कहना है कि उनके सगे भाई बहन भी अब जीवित नहीं हैं। उनका मानना है कि उनकी इच्छा के खिलाफ उन्हें जीवित रखना देश के और उनके संसाधनों की बर्बादी है, जो पहले से ही अपर्याप्त हैं।   गौरतलब है कि एक्टिव यूथेन्सिया में मेडिकल विशेषज्ञ या अन्य व्यक्ति जानबूझ कर कुछ ऐसी दवा देते हैं, जिससे कि रोगी की मौत हो जाए।   दंपती दक्षिण मुंबई के चरनी रोड इलाके के बाशिंदे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि किसी गंभीर रोग से उनके ग्रसित होने तक उन्हें मृत्यु का इंतजार करने के लिए मजबूर करना अनुचित है। 

उन्होंने अनुरोध किया कि उनके मामले को ‘एक्टिव यूथेन्सिया’ का एक अपवाद मामला बनाया जाए।   महाराष्ट्र राज्य पथ परिवहन निगम से 1989 में सेवानिवृत्त हुए नारायण लावते ने कहा, ‘‘मौत की सजा का सामना कर रहे लोगों के प्रति दया दिखाने की राष्ट्रपति के पास शक्तियां हैं। हम उम्र कैद काट रहे हैं । राष्ट्रपति हमें अपना जीवन समाप्त करने की इजाजत दे कर हम पर दया कर सकते हैं।’’   अपने असमान्य अनुरोध के विस्तार में जाते हुए लावते ने कहा कि यदि वह और उनकी पत्नी (सेवानिवृत्त स्कूल प्राचार्य) छत से कूद कर या फांसी लगा कर आत्महत्या करने का फैसला करते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उनकी मौत हो ही जाएगी।  

लावते ने कहा कि स्विटजरलैंड में ‘डिग्नीटाज’ नाम का एक संगठन है, यह उन लोगों के लिए जो अपनी जीवनलीला समाप्त करना चाहते हैं। इस काम में उनकी मदद करने वाले चिकित्सकों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप नहीं लगता। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोग संगठन का सदस्य तो बन गए लेकिन वहां नहीं जा सकते क्योंकि मेरे पास पासपोर्ट नहीं है।’’  उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति को याचिका देने का उनका यह लक्ष्य है कि वे लोग एक्टिव यूथेन्सिया के लिए एक अपवाद मामला बन सकें।  

 21 दिसंबर 2017 की अपनी याचिका में लावते ने कहा है उनका और उनकी पत्नी का अपेक्षाकृत अच्छा स्वास्थ्य है और किसी गंभीर रोग से ग्रसित नहीं हैं। उन्होंने कहा किसी गंभीर रोग के संपर्क में आने का इंतजार करने के लिए उन्हें मजबूर करना अनुचित है।   लावते ने कहा, ‘‘हमने मौत के बाद अपना बचा खुचा थोड़ा सा धन राज्य के कोषागार में दान करने का वादा किया है।’’  

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