Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 03:49 PM
रामायण के सबसे क्रूर पात्रों में से एक रावण के बारे में तरह तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के जसवंतनगर में रावण की न केवल पूजा की जाती है..........
इटावा: रामायण के सबसे क्रूर पात्रों में से एक रावण के बारे में तरह तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के जसवंतनगर में रावण की न केवल पूजा की जाती है बल्कि शहर भर मे रावण की आरती उतारी जाती है। इतना ही नहीं बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता है बल्कि लोगबाग पुतले की लकडिय़ों को अपने अपने घरों में ले जा इस श्रद्धा भाव से सहेज कर रखते हैं ताकि वे साल भर हर संकट से दूर रह सकें।
रामलीला भी बेहद खास
यहां करीब 160 साल पुरानी रामलीला भी अपने बेहद खास अंदाज के कारण दुनिया भर में विलक्षण रामलीला मंचन के लिए विख्यात है। यही कारण है कि साल 2010 में यूनेस्को की ओर से अनूठी रामलीलाओं की फेहरिस्त के बारे में जारी की गई रिर्पोट में भी इस रामलीला को जगह दी जा चुकी है। इस रामलीला का आयोजन दक्षिण भारतीय तर्ज पर मुखोटो को लगाकर खुले मैदान में किया जाता है।
त्रिडिनाड की शोधार्थी इंद्रानी बनर्जी करीब 400 से अधिक रामलीलाओं पर शोध कर चुकी हैं लेकिन उनको जसवंतनगर जैसी होने वाली रामलीला कहीं पर भी देखने को नहीं मिली है। जसवंतनगर में जहां पर रामलीला होती है वह इलाका उत्तर प्रदेश के समाजवादियों का गढ़ माना जाता है। शिवपाल सिंह यादव यहॉ से विधायक हैं और वह खुद दशहरा समारोह मे लंबे अर्से से शामिल होते आ रहे हैं जहां मंच के बजाय खुले मैदान मे रामलीला होती है।