Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 10:36 PM
जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि पुर्तगाल से भारत लाए गए अबू सलेम की प्रत्यर्पण संधि में भोपाल का अकबर नफीस हत्याकांड शामिल नहीं था, इसके चलते भोपाल की अदालत उसके खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी नहीं कर सकती
जबलपुरः जबलपुर हाईकोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम के खिलाफ भोपाल में चल रहे दोहरे हत्याकांड के प्रोडक्शन वारंट को खारिज कर दिया है। एेसे में अब सलेम के खिलाफ इस प्रकरण के चलने की संभावना भी खत्म हो गई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि पुर्तगाल से भारत लाए गए अबू सलेम की प्रत्यर्पण संधि में भोपाल का अकबर नफीस हत्याकांड शामिल नहीं था, इसके चलते भोपाल की अदालत उसके खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी नहीं कर सकती। बता दें कि मुंबई बम धमाकों में अबू सलेम को उम्र कैद की सजा हुई है।
प्रत्यपर्ण संधि में ये मामला नहीं था शामिल
शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक अग्रवाल ने भोपाल की एडीजे कोर्ट द्वारा जारी प्रोडक्शन वारंट को खारिज करने के आदेश दिए। इससे पहले डॉन अबू सलेम के वकील आलोक बघरेचा और भूपेंद्र तिवारी ने दलील दी कि भारत सरकार ने जब पुर्तगाल से प्रत्यपर्ण संधि की थी, उस दौरान सलेम के खिलाफ 9 मामले चलाने की बात तय हुई थी। इन 9 मामलों में भोपाल का अकबर-नफीस हत्याकांड शामिल नहीं था। जस्टिस आलोक अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि जो प्रकरण प्रत्यर्पण संधि में शामिल नहीं था, उस पर कोई अदालत प्रत्यर्पित आरोपी के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी नहीं कर सकती।
सलेम ने सिराज की हत्या की दी थी सुपारी
भोपाल में जून 2001 में पुलिस ने दो युवकों की लाश बरामद की थी। इनकी पहचान अकबर और नफीस नामक युवकों के रूप में हुई। उस वक्त क्राइम ब्रांच ने दावा किया था कि ये दोनों अबू सलेम के शूटर्स थे, जिन्हें सिराज नामक युवक की हत्या करने की सुपारी दी गई थी। सलेम को शक था कि सिराज ने उसके खिलाफ मुखबिरी की थी। हालांकि इस बीच सिराज पर हमला न होने से उसे ये शक हुआ कि अकबर और नफीस भी सिराज से मिल गए हैं।
सिराज पर फर्जी पासपोर्ट बनाने का आरोप
बता दें, सिराज पर ही अबू सलेम और मोनिका बेदी का भोपाल में फर्जी डाक्यूमेंट के अधार पर पासपोर्ट बनवाने का आरोप था। बाद में सिराज सरकारी गवाह बन गया था। सलेम के प्रत्यर्पण के समय भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार को उसके 65 प्रकरणों की जानकारी दी थी लेकिन 9 प्रकरणों पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी। पासपोर्ट से जुड़े मामले में मोनिका बेदी भोपाल कोर्ट से पहले ही बरी हो चुकी हैं। इस दोहरे हत्याकांड में भोपाल की अदालत ने बाकी आरोपियों को नवंबर 2011 में दोषमुक्त कर दिया था।