Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 12:34 AM
अब तक जो रोहिंग्या पकड़े गए, उनके पास से कोई हथियार या गोला बारूद नहीं मिला लेकिन हम इंटेलिजेंस के इनपुट को दरकिनार नहीं कर सकते हैं, जिसमें कहा गया है कि रोहिंग्या के आतंकी संगठनों से लिंक हैं। ये कहना था बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल केके शर्मा का।...
नई दिल्लीः अब तक जो रोहिंग्या पकड़े गए, उनके पास से कोई हथियार या गोला बारूद नहीं मिला लेकिन हम इंटेलिजेंस के इनपुट को दरकिनार नहीं कर सकते हैं, जिसमें कहा गया है कि रोहिंग्या के आतंकी संगठनों से लिंक हैं। ये कहना था बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल केके शर्मा का। उन्होंने बताया कि इंटेलिजेंस इनपुट के हिसाब से 36 हजार रोहिंग्या शरणार्थी देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं।
शर्मा ने यह बात बीएसएफ के 52वें स्थापना दिवस (1 दिसंबर) से पहले कही। इस दौरान उन्होंने कहा ''जहां तक मेरी जानकारी में है, फिलहाल 36 हजार रोहिंग्या देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं। ये पुलिस-इंटेलिजेंस एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर जनरल ऑब्जर्वेशन है।'' बीएसएफ डायरेक्टर ने कहा, ''फिलहाल, बॉर्डर पर रोहिंग्या मुस्लिमों के कब्जे से हथियार, गोला-बारूद मिलने या आतंकी कनेक्शन का कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन जैसा कि हमें इंटेलिजेंस से इनपुट मिला है कि रोहिंग्या के आतंकी संगठनों से लिंक हो सकते हैं। ये खतरनाक और काफी गंभीर मसला है। मुझे एजेंसियों के इनपुट पर संदेह नहीं है।''
केके शर्मा ने कहा, ''हमारे जवान रोहिंग्या को बॉर्डर से ही वापस लौटा देते हैं, उन्हें गिरफ्तार नहीं करते हैं। ये मुद्दा काफी गंभीर है। ताजा अनुमान के हिसाब से करीब 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों ने म्यांमार से आकर बांग्लादेश में शरण ली है। भारत में भी इनकी संख्या बढ़ सकती है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।'' उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य साफ है कि किसी भी अवैध शरणार्थी को देश की सीमा में घुसने की इजाजत नहीं दे सकते हैं। चाहे वो रोहिंग्या हो या फिर बांग्लादेशी। सभी को वापस लौटाया जाता है।''
बीएसएफ के मुताबिक, एजेंट भारत में रोहिंग्या को अच्छी नौकरी का झांसा देते हैं। उनसे कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और वेस्ट बंगाल जैसे राज्यों में मुस्लिमों के साथ रहने और काम करने का मौका मिलेगा। ज्यादातर रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर जाना पसंद करते हैं, क्योंकि वहां उनकी संख्या ज्यादा है। वे कुछ सालों से कश्मीर में रह रहे हैं। यहां पहुंचने के बाद वह अपने रिश्तेदारों को भी बुलाने की कोशिश करने लगते हैं।