Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 01:40 PM
रूस ने भारत के प्रति अपनी पुरानी दोस्ती को एक बार फिर साबित कर दिया है। भारत की NSG सदस्यता में रोड़ा बने चीन और पाकिस्तान को रूस ने जोरदार झटका देते हुए कहा है कि एनएसजी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को पाकिस्तान के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है...
मॉस्को: रूस ने भारत के प्रति अपनी पुरानी दोस्ती को एक बार फिर साबित कर दिया है। भारत की NSG सदस्यता में रोड़ा बने चीन और पाकिस्तान को रूस ने जोरदार झटका देते हुए कहा है कि एनएसजी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को पाकिस्तान के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। मास्को इस बारे में विभिन्न स्तर पर चीन के साथ चर्चा कर रहा है।बता दें कि चीन लगातार न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।
चीन इस पक्ष में है कि 48 सदस्यों वाले एनएसजी ग्रुप के विस्तार के लिए एक कसौटी तय करने के बजाय इसके कि मेरिट के आधार पर किसी देश को सदस्यता मिले। बता दें कि एनएसजी ग्रुप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परमाणु व्यापार को नियंत्रित करती है। भारत अपनी दावेदारी के मुकाबले चीन के इस विरोध को पाकिस्तान के पक्ष में मानता है।
बुधवार को यह मामला एक बार फिर चर्चा में आया, जब रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात की। विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद रयाबकोव ने कहा, 'एनएसजी सदस्यता की दावेदारी के लिए पाकिस्तान के आवेदन पर कोई सर्वसम्मति नहीं है और इसे भारत की दावेदारी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।' यह पहली बार है जब रूस के किसी सीनियर डिप्लोमेट ने सार्वजनिक रूप से दो मामलों को एक साथ जोड़ने पर प्रतिक्रिया दी हो। उन्होंने कहा, 'हम इस मसले की जटिलताओं से परिचित हैं, लेकिन हम उन देशों की तरह नहीं जो केवल बात करते हैं।
बता दें कि इस साल की शुरुआत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत ने चीन को समझाने के लिए रूस से संपर्क किया है। चीन भारत को मेरिट के आधार पर एनएसजी की सदस्यता देने का विरोध कर रहा है। हालांकि मास्को का मानना है कि जब तक सभी देश इस बारे में प्रयास नहीं करते हैं, तब तक चीन मानने को तैयार नहीं होगा. रयाबकोव ने अपने बयान में मुद्दे के राजनीतिकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों को भारत की सदस्यता के लिए और ज्यादा सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।